बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025 की वैधता को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है, क्योंकि न्यायालय द्वारा नियुक्त न्यायमित्र (एमिकस क्यूरी) ने श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025 को लेकर राज्य की विधिक क्षमता पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं। यह अध्यादेश वृंदावन, मथुरा स्थित ऐतिहासिक श्री बांके बिहारी मंदिर के संचालन हेतु एक वैधानिक ट्रस्ट के गठन से संबंधित है।
अध्यादेश के अनुसार मंदिर का प्रबंधन अब एक नए ट्रस्ट "श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास"को सौंपा जाएगा, जिसमें कुल 11 ट्रस्टी होंगे, जिनमें से 7 पदेन सरकारी अधिकारी होंगे, जैसे मथुरा के जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर आयुक्त, ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ, शेष सदस्य मनोनीत संत, महंत, मठाधीश तथा सनातन धर्म के विद्वान होंगे।
सोमवार को सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी संजय गोस्वामी ने न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकलपीठ के समक्ष यह तर्क दिया कि बांके बिहारी मंदिर एक निजी मंदिर है, जो सदियों से स्वामी हरिदास जी के वंशजों एवं सेवायतों द्वारा संचालित होता आया है। उनके अनुसार, सरकार का यह अध्यादेश धार्मिक स्वतंत्रता में अनुचित हस्तक्षेप है और संविधान के अनुच्छेद 25 एवं 26 का उल्लंघन करता है।
न्यायमित्र ने विशेष रूप से अध्यादेश की धारा 5 पर आपत्ति जताई, जिसमें ट्रस्ट की संरचना, कार्यकाल और सदस्यों की नियुक्ति से जुड़े प्रावधान हैं। उन्होंने तर्क दिया कि पदेन सरकारी ट्रस्टियों की नियुक्ति मंदिर की आंतरिक धार्मिक स्वतंत्रता में दखल है, और यह “पिछले दरवाज़े से नियंत्रण" स्थापित करने की कोशिश है। सुनवाई के दौरान यह भी बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले से जुड़ी एक याचिका लंबित है, जिसकी सुनवाई 29 जुलाई 2025 को प्रस्तावित है।
इसमें 15 मई 2025 के उस निर्णय को चुनौती दी गई है, जिसमें राज्य सरकार को मंदिर निधि से गलियारा विकास कार्य के लिए धन उपयोग की अनुमति दी गई थी। यह आदेश कथित रूप से सेवायतों की अनुपस्थिति में एकपक्षीय रूप से पारित किया गया था। कोर्ट ने माना कि मौजूदा मामले से गंभीर संवैधानिक और धार्मिक प्रश्न जुड़े हैं, जिन्हें गहराई से समझने की आवश्यकता है। अतः कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एमिकस क्यूरी द्वारा प्रस्तुत आपत्तियों पर स्पष्ट जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई आगामी 30 जुलाई 2025 को सूचीबद्ध की गई है।
मालूम हो कि श्री बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन, देश के सबसे प्राचीन और प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है, जो लगभग 360 सेवायतों द्वारा पीढ़ियों से संचालित होता आया है। मंदिर के दो प्रमुख संप्रदायों के बीच लंबे समय से आंतरिक विवाद चल रहे हैं। प्रबंधन जटिलताओं के मद्देनज़र मार्च 2025 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिवक्ता संजय गोस्वामी को न्याय मित्र नियुक्त किया था।
