संभल हिंसा मामले में जामा मस्जिद सदर जफर अली को हाईकोर्ट से जमानत
23 मार्च को पुलिस ने जफर अली एडवोकेट को किया था गिरफ्तार
प्रयागराज/संभल, अमृत विचार। जामा मस्जिद सर्वे को लेकर भड़की हिंसा के मामले में गिरफ्तारी के बाद चार महीने से जेल में बंद जामा मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली एडवोकेट को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति समीर जैन की एकलपीठ ने गुरुवार को पारित किया।
संभल में 24 नवंबर 2024 को अदालत के आदेश पर जामा मस्जिद में सर्वे के खिलाफ मुस्लिम समाज के हजारों लोग सड़कों पर आ गये थे। इस दौरान हिंसा भड़की तो जमकर पथराव,फायरिंग व आगजनी हुई। पुलिस के अनुसार हिंसा में 4 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 29 पुलिसकर्मी घायल हुए थे। संभल हिंसा को लेकर पुलिस की तरफ से काेतवाली संभल व थाना नखासा में कई मुकदमे दर्ज किये गये थे। एक मुकदमे में सांसद जियाउर्रहमान बर्क और सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहेल इकबाल को भी आरोपी बनाया गया । विशेष जांच दल (एसआईटी) ने संभल हिंसा में जामा मस्जिद कमेटी सदर जफर अली की बड़ी भूमिका होने का दावा करते हुए आरोपी बनाया था।
एसआईटी ने अपनी जांच में साफ किया कि जफर अली ने हिंसा से पहले 23 नवंबर की रात जामा मस्जिद में सर्वे की सूचना सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क को दी थी। इसके बाद ही जब अगले दिन सर्वे शुरू हुआ तो भीड़ इकट्ठा हुई और हिंसा की घटना हुई। इसके बाद 23 मार्च 2025 को पुलिस ने जफर अली को गिरफ्तार कर लिया था। वह करीब चार महीने से मुरादाबाद जेल में बंद हैं। कोर्ट ने जफर अली की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान मामले की परिस्थितियों को देखते हुए स्पष्ट किया कि यह जमानत आदेश ट्रायल की प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करेगा। कोर्ट के आदेश के बाद अब जफर अली की रिहाई प्रक्रिया जल्द शुरू होगी।
व्हाट्सएप काल और चैटिंग से फंसे जफर अली
संभल। एसआईटी में शामिल अधिकारियों ने हिंसा में जफर अली की भूमिका को लेकर पड़ताल की तो 24 नवंबर की देर रात को उनकी सांसद जियाउर्रहमान बर्क के साथ व्हाट्सएप काल और चैटिंग की बात सामने आई। एसआईटी सूत्रों का कहना है कि 24 नवंबर की सुबह जामा मस्जिद में सर्वे की बात प्रशासनिक स्तर पर जामा मस्जिद कमेटी सदर जफर अली को 23 नवंबर की रात को बताई गई थी। इसके बाद ही जफर अली ने सांसद बर्क से बात कर सारी बात बताई और फिर सर्वे के विरोध का ताना बाना बुना गया। 23 नवंबर की रात की व्हाट्सएप काल और चैटिंग जफर अली के खिलाफ बड़ा सबूत बनी।
जमानत से परिवार व समर्थकों में खुशी
संभल। 23 मार्च को पुलिस ने जामा मस्जिद कमेटी सदर जफर अली को गिरफ्तार कर जेल भेजा तो तमाम प्रयास के बाद भी चार माह तक उनकी जमानत नहीं हो पाई। जफर अली का ईद का त्यौहार भी जेल के अंदर ही बीता। अब हाईकोर्ट से जमानत स्वीकृत हुई तो उनके परिजनों में खुशी की लहर नजर आई। समर्थकों ने भी खुशी का इजहार किया।
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