सेवा समाप्ति में नहीं था याची का दोष, हाईकोर्ट ने आदेश किया रद्द
विभागीय त्रुटि पर दंड नहीं, दुर्भावनापूर्ण इरादा साबित न हो तो नियुक्ति वैध: हाईकोर्ट
प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि यदि कोई नियुक्ति विभागीय त्रुटि के कारण हुई हो, और आवेदक ने न तो कोई झूठी जानकारी दी हो और न ही दस्तावेजों में हेरफेर की हो, तो उसे धोखाधड़ी का दोषी नहीं ठहराया जा सकता। केवल रिकॉर्ड में विसंगति के आधार पर सेवा समाप्ति जैसी कठोर कार्यवाही करना कानून सम्मत नहीं है, जब तक दुर्भावनापूर्ण इरादे का स्पष्ट प्रमाण न हो।
न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की एकलपीठ का निर्णय : यह आदेश न्यायमूर्ति श्रीमती मंजू रानी चौहान की एकलपीठ ने बलिया जिले के सहायक अध्यापक नेवतेज कुमार सिंह की सेवा समाप्ति के विरुद्ध दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। कोर्ट ने 31 जुलाई 2021 को पारित सेवा समाप्ति आदेश को अवैध मानते हुए रद्द कर दिया और याची को पुनः सहायक अध्यापक के पद पर कार्य करने की अनुमति देने का निर्देश दिया।
आश्रित प्रमाण पत्र पर विवाद बना था सेवा समाप्ति का कारण : मामले के अनुसार, याची ने 2008 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित प्रमाण पत्र प्राप्त किया था, जिसके आधार पर उन्हें 2020 में बलिया के जूनियर बेसिक स्कूल, यादव बस्ती छिब्बी, ब्लॉक चिलकहर में सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त किया गया। 2021 में दस्तावेज़ सत्यापन के दौरान विभागीय रिकॉर्ड में प्रमाण पत्र का क्रमांक किसी अन्य के नाम से दर्ज पाया गया। इस पर याची ने नया प्रमाण पत्र प्राप्त कर स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया, लेकिन विभाग ने धोखाधड़ी का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण न होने के बावजूद उनकी सेवा समाप्त कर दी।
कोर्ट ने माना: विभागीय त्रुटि, न कि याची की गलती : कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रमाण पत्र जारी करना तथा उसका रिकॉर्ड संधारण संबंधित विभाग की जिम्मेदारी है, न कि याची की। जब तक दुर्भावनापूर्ण इरादा सिद्ध न हो, तब तक तकनीकी विसंगति को सेवा समाप्ति का आधार नहीं बनाया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि याची की ओर से कोई झूठी जानकारी या दस्तावेज नहीं प्रस्तुत किया गया था।
सेवा बहाली का निर्देश : कोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिया कि वे तत्काल याची की सेवा बहाल करें और उसे पुनः सहायक अध्यापक के पद पर कार्य करने दें। कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना आवश्यक है, लेकिन विभागीय लापरवाही का खामियाजा किसी निर्दोष व्यक्ति को नहीं भुगतना चाहिए।
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