PDA की पाठशाला नहीं सिलेबस पर हो रहा घमासान... आखिर कितनी कारगर है भाजपा सरकार की FIR से काट
उप्र. में वर्णमाला के राजनीतिक पाठ पर मचा बवंडर
अजय दयाल, लखनऊ, अमृत विचार: पीडीए पाठशाला को लेकर उत्तर प्रदेश में राजनीतिक घमासान है। सपा नेता पाठशाला लगाने से पीछे नहीं हट रहे तो वहीं व्यवस्था ऐसे नेताओं पर मुकदमा ठोकने से भी नहीं चूक रही। सपा अपने इस अभियान से प्राथमिक स्कूलों के मर्जर पर विरोध जता रही है, वहीं भाजपा सरकार इस तरीके को असमाजिक, कानून विरोधी ठहरा रही है। दोनों तरफ की कवायद राजनीति से परे नहीं लेकिन समझना यह है कि ऐसी पाठशाला कितनी कानून सम्मत है और गैरकानूनी है तो क्यों?
दरअसल, लड़ाई पीडीए की पाठशाला की नहीं बल्कि इसमें पढ़ाए जाने वाले सिलेबस की है। घमासान भी वर्णमाला के राजनीतिक पाठ पर मचा है। पाठ पढ़ाया जा रहा है ए फॉर अखिलेश और डी फॉर डिंपल…. इतना तो तय है कि आगामी चुनावों के मद्देनजर सपा एक नई राजनीतिक सोशल इंजीनियरिंग करने पर आमादा है। वहीं, राज्य सरकार का तर्क है कि पीडीए पाठशाला के जरिए सरकार विरोधी सामग्री का प्रचार किया जा रहा है। बच्चों की भावनाओं से राजनीतिक खेल किया जा रहा है जो कि कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बन सकता है। ऐसे में एफआईआर तो होनी ही है।
एफआईआर के विरोध में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, अंग्रेजों ने भी कभी पढ़ाई को लेकर किसी पर एफआईआर नहीं लिखवाई, लेकिन यह सरकार सोचती है कि पुलिस से हमारी पाठशाला बंद करा देगी। वहीं उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि बच्चों और नौनिहालों के मन में राजनीति घुसाना घोर अपराध है। उन्होंने सपा पर बच्चों को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया और कहा कि आने वाले समय में सपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। इतना तो तय है कि पीडीए पाठशाला की सरगर्मी से उत्साहित सपा इस अभियान को आगे भी बढ़ाएगी। सपा इसको विधानसभा चुनाव के मैनिफेस्टो में शामिल कर सकती है।
समाजवादी पार्टी का तर्क समझे तो पाएंगे कि प्राथमिक स्कूलों में ज्यादातर पीडीए यानि पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक वर्ग से बच्चे पढ़ते हैं। स्कूलों के मर्जर से इनकी शिक्षा प्रभावित होगी इसलिए उन्हें न्याय दिलाने को हम गांव-गांव, गली-गली पाठशाला लगा रहे हैं। इस तर्क से साफ है कि यूपी में स्कूल मर्जर के विरोध में शुरू की गई सपा की पाठशाला पीडीए वर्ग में पैठ बनाने का ज़रिया है। अब भाजपा इस अपने मुख्य विपक्षी दल के इस नये राजनीतिक हथियार की काट कैसे निकालती है यह तो वक्त ही बताएगा?
हमारी पार्टी यह अभियान राइट टू एजुकेशन के समर्थन में चला रही है। प्राथमिक स्कूलों का मर्जर कर सरकार इस कानून उल्लंघन कर रही है। यह लोकतंत्र, संविधान विरोधी है। हम परंपरागत अर्थ के बजाय वर्णमाला की पहचान सिखा रहे हैं। ए फॉर अखिलेश पढ़ाना क्हां से गलत है। हमारा अभियान गैरकानूनी कत्तई नहीं।
- डॉ. रागिनी सोनकर, सपा विधायक
6.png)
प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर के नाम पर पीडीए पाठशाला पूरी तरह सतही नाटक है, जो गैरकानूनी तो है ही, समाज में फूट डालने और अराजकता फैलाने का कुत्सित प्रयास है। सरकार सर्व शिक्षा अभियान चला रही है और ये पीडीए पाठशाला के नाम पर राजनीतिक षड्यंत्र कर रहे हैं। ए से अखिलेश पढ़ाकर, आप कैसा सन्देश देना चाहते हैं। जनता इनके झांसे में नहीं आने वाली।
- डॉ. नीरज बोरा, भाजपा विधायक
यह भी पढ़ेंः UP Home Loan: गांव में भी अपना आशियाना बनाने का सपना होगा पूरा... मिलेगा लोन, घरौनी कानून का प्रस्ताव तैयार
