कुट्टू का आटा, मूंगफली, मेवा व अनाजों को नमी से बचाएं व्यापारी, FSDA ने नवरात्रि और त्योहारों को लेकर जारी की गाइडलाइन
लखनऊ, अमृत विचार : सितंबर एवं अक्टूबर में कई प्रमुख त्योहार हैं। इनमें से प्रमुख रूप से शारदीय नवरात्र, दशहरा और दीपावली हैं। नवरात्र उत्सव के दौरान श्रद्धालु व्रत में प्रयोग किए जाने वाले खाद्य पदार्थों में सिंघाड़े का आटा, कुट्टू का आटा, मूंगफली, मेवा, रामदाना, घी, फलाहारी और मिठाइयों आदि का फलाहार के रूप में प्रयोग किया जाता है।
नवरात्र के समय कुट्टू के आटे के सेवन से कई लोगों के बीमार होने की घटनाएं भी पर्व के दौरान प्रकाश में आती हैं। इसे देखते हुए एफएसडीए ने विशेष गाइड लाइन जारी की है। खाद्य कारोबारी कुट्टू का आटा, मूंगफली, मेवे व अन्य अनाजों का सुरक्षित भंडारण करें।
भंडारण के वक्त अत्यधिक नमी और गर्मी पर रखें ध्यान
एफएसडीए के सहायक आयुक्त खाद्य विजय प्रताप सिंह ने कारोबारियों को दिए गए निर्देशों में बताया गया है कि खाद्य पदार्थ में फफूंदी या फंगस के संक्रमण से एफ्लेटाक्सिन एक प्रकार का माइकोटाक्सिन (विषैला पदार्थ) होता है। यह संक्रमण खाद्य पदार्थों विशेषकर कुट्टू में तब होता है जब कुट्टू को अनुचित तरीके से अत्यधिक नमी और गर्म तापमान पर भण्डारित किया जाता है।
अत्यधिक नमी एवं अत्यधिक गर्म तापमान में कुट्टू, कुट्टू आटा, मूंगफली, मेवे व अन्य अनाजों को भण्डारित रखने से फफूंदी के विकास के लिए अनुकूल वातावरण बन जाता है तथा फफूंदी भण्डारित खाद्य पदार्थो को संक्रमित कर देती है।
संक्रमण से बचाना है तो हवादार और ठंडे वातावरण का करें चयन
सहायक आयुक्त ने कहा कि खाद्य कारोबारकर्ताओं एवं उपभोक्ताओं को ऐसे खाद्य पदार्थो के भण्डारण एवं रख-रखाव के लिए सूखी, हवादार एवं ठंडे वातावरणयुक्त स्थान का चुनाव करना चाहिए, जिससे खाद्य पदार्थो को फफूंदी के संक्रमण से बचाया जा सके।
प्रवर्तन के दौरान मिली लापरवाही तो होगी कठोर कार्यवाही
उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के निरीक्षण एवं प्रवर्तन कार्यवाही के दौरान यदि किसी खाद्य कारोबारकर्ता द्वारा निर्देशों के विरुद्ध कार्य करते हुए पाये जाने या अप्रिय घटना होने पर संज्ञेय अपराध मानकर उसके खिलाफ नियमानुसार कठोर दंडात्मक कार्यवाही की जायेगी।
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