"The sky was never the limit": शुभांशु शुक्ला के शब्द अब पांचवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में, छात्रों को देंगे प्रेरणा
नई दिल्ली: भारत के अंतरिक्ष नायक शुभांशु शुक्ला की जीवन यात्रा पर आधारित नई किताब, "आकाश कभी सीमा नहीं था", उनके असाधारण सफर को उजागर करती है। यह किताब न केवल उनके अंतरिक्ष मिशन की कहानी बयान करती है, बल्कि कॉकपिट के पीछे की दुनिया और भारतीय विमानन समुदाय के जीवन की रोमांचक झलकियां भी पेश करती है। वृत्तचित्र फिल्म निर्माता नारायण आर द्वारा लिखित और रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक एक अंतरिक्ष यात्री की भावनात्मक और प्रेरणादायक कहानी को जीवंत करती है।
भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 'एक्सिओम-4' निजी अंतरिक्ष मिशन का हिस्सा थे। यह मिशन 25 जून को फ्लोरिडा से शुरू हुआ और अगले दिन, 26 जून को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर पहुंचा। 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय के रूप में शुक्ला ने इतिहास रचा। वह 15 जुलाई को पृथ्वी पर वापस लौटे।
किताब की प्रस्तावना में लिखा गया है, "राकेश शर्मा के ऐतिहासिक मिशन के चार दशक बाद, शुभांशु शुक्ला ने धरती से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक का सफर तय किया। इस तरह वह अंतरिक्ष में पहुंचने वाले दूसरे भारतीय बने और एक नए युग में इस उपलब्धि को हासिल करने वाले पहले व्यक्ति। यह किताब केवल एक मिशन की कहानी नहीं है, बल्कि एक ऐसी प्रेरणा है जो बताती है कि कैसे एक सामान्य बालक ने आकाश को छू लिया और एक अरब लोगों के सपनों को अपने साथ अंतरिक्ष तक ले गया।"
इस पुस्तक में सात अध्याय हैं, जिनमें 'लखनऊ से अंतरिक्ष की कक्षा तक', 'दृढ़ संकल्प की राह', 'एक नायक का आंतरिक सफर', और 'राष्ट्र का गौरव, अरबों की आशाएं' जैसे शीर्षक शामिल हैं। शुभांशु शुक्ला की कहानी में उनके परिवार, गुरुओं और उनकी पत्नी कामना के भावपूर्ण विचार भी समाहित हैं, जो इस जीवनी को और भी मार्मिक बनाते हैं।
