उर्स-ए-रजवी: बरेली में क्यों बोले सलमान अजहरी ? 56 इंच का सीना होने से कोई ताकतवर नहीं बनता
बरेली, अमृत विचार। उर्स-ए-रजवी के मंच पर चर्चित मौलाना सलमान अजहरी भी तकरीर करने पहुंचे। यहां उन्होंने अपने अंदाज में आला हजरत की सीरत बयान की। आला हजरत ने किस तरह अपनी कलम को ताकत बनाया इस पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ 56 इंच का सीना होने से कोई ताकतवर नहीं बनता। आला हजरत जैसी हिम्मत कौन जुटा सकता है।
आला हजरत बनता नहीं है, बनाया जाता है। किसी के चाहने से कोई आला हजरत नहीं बन जाता। पड़ोसी मुल्क से भी बहुत सारे लोग ये सोचकर आए कि आला हजरत बन जाएंगे। मगर आला हजरत बनने के लिए खास अता-ए-मुस्तफा होनी चाहिए। आला हजरत की सीरत अगर पढ़ी जाए तो वह थोड़े दुबले पतले थे। लोग ये समझते होंगे कि ताकत और कुव्वत का मतलब शारीरिक हट्टा कट्टा होना है। लेकिन छप्पन इंच का सीना होने से कोई ताकतवार नहीं होता। क्योंकि आला हजरत जब कलम उठाते थे तो कहते थे कि "रजा के नेजे की मार है कि अदू के सीने में गार है, किसे चारा जूई का वार है कि यह वार, वार से पार है।" आला हजरत जैसी हिम्मत कोई नहीं जुटा सकता।
जेल में भी आला हजरत को किया याद
उन्होंने कहा कि अमन की बात जरूरी है, उर्स-ए-रजवी का एक स्टेज सालों से इस परंपरा को कायम रखा हुआ है। आला हजरत से लोग इसलिए जलते हैं क्योंकि वो अमन की बात करते थे। आला हजरत का एक ही मिशन है, नामूस-ए-रिसालत की हिफाजत। सलमान अजहरी ने कहा कि जब वो जेल में थे तो सिर्फ आला हजरत के अल्फाज याद करते थे। "उनके निसार कोई कैसे ही रंज में हो, जब याद आ गए हैं सब गम भुला दिए हैं।"
सलमान अजहरी की झलक पाने को बेताब
मौलाना सलमान अजहरी जब मंच पर तकरीर करने आए तो उनकी एक झलक पाने के लिए जायरीन में अफरा-तफरी का माहौल हो गया। लोगों ने सेल्फी और वीडियो बनाना शुरू कर दिया। जिसके बाद मंच से ही लोगों को समझाया गया। लोगों के उत्साह को देखते हुए मौलाना सलमान अजहरी ने जल्द ही अपनी तकरीर खत्म कर दी।
