मराठा आरक्षण : प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज हुये कई मामले, सरकारी आदेश से ओबीसी नेता नाखुश ! भाजपा एमएलसी ने कही यह बात
मुंबई। मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ साउथ मुंबई के 6 थानों में आठ से अधिक मामले पुलिस ने दर्ज किये हैं। यह मामले प्रदर्शनकारियों के खिलाफ गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने और निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के आरोप में दर्ज हुये हैं। पुलिस की तरफ से यह जानकारी दी गई है।
वहीं सूत्रों का दावा है कि ओबीसी नेताओं ने सरकार के फैसले पर नाखुशी जताई और आंदोलन की चेतावनी भी दी। इसी की चलते मंत्री छगन भुजबल राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में शामिल नहीं हुए, जिसके चलते यह कयास लगाये जा रहे हैं कि वह नाराज हैं। हालांकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) परिणय फुके ने इससे इंकार किया है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) परिणय फुके ने बुधवार को कहा कि देवेंद्र फडणवीस नीत सरकार ने मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों को विश्वास में लेने के बाद मराठा आरक्षण पर सरकारी आदेश जारी किया और दावा किया कि कोई भी ओबीसी नेता इससे नाराज नहीं है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सरकारी आदेश के खिलाफ कोई भी अदालत नहीं जाएगा। फुके ने कहा कि कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटा प्रभावित नहीं होगा।
महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को एक समिति गठित करने की घोषणा की ताकि मराठा समुदाय के लोगों को उनकी कुनबी विरासत के ऐतिहासिक साक्ष्य पेश करने पर कुनबी जाति प्रमाणपत्र जारी किए जा सकें। पत्रकारों से बातचीत में फुके ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि कल जारी किए गए सरकारी आदेश के खिलाफ कोई अदालत जाएगा।"
यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य मंत्री और ओबीसी नेता छगन भुजबल नए आदेश से नाराज़ हैं, फुके ने कहा, "भुजबल अपने विभाग से जुड़े मुद्दों या कुछ निजी कारणों से नाराज़ हो सकते हैं। उन्होंने आज होने वाली मंत्रिमंडल बैठक के बहिष्कार के पीछे के कारणों को अभी तक स्पष्ट नहीं किया है।" उन्होंने दावा किया, "कोई भी ओबीसी नेता नए आदेश से नाखुश नहीं है... भुजबल के मंत्रालय से जुड़े कुछ मुद्दे या उनके कार्यों के पीछे कुछ निजी कारण हो सकते हैं।" कार्यकर्ता मनोज जरांगे लंबे समय से मराठों को कुनबी के रूप में मान्यता देने की मांग कर रहे हैं। कुनबी राज्य का एक पारंपरिक कृषक समुदाय है और उन्हें नौकरियों एवं शिक्षा में सरकारी आरक्षण का पात्र बनाने के लिए राज्य में ओबीसी श्रेणी की सूची में शामिल किया गया है।
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