चंद्र ग्रहण : सूतक काल में बंद रहे मंदिरों के कपाट, पुरोहितों ने प्रतिमाओं की आंखों पर बांधी पट्टी
मुरादाबाद, अमृत विचार। रविवार को लगने वाले चंद्र ग्रहण के नौ घंटे पूर्व ही सूतक काल शुरू हो गया था। सूतक लगते ही महानगर के सभी मंदिरों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए। मंदिरों में सुबह से ही विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन हुआ और उसके बाद पुरोहितों ने शयन आरती कर भगवान को विश्राम कराया। इस दौरान भगवान की दृष्टि ग्रहण पर न पड़े, इसके लिए प्रतिमाओं की आंखों पर पट्टी भी बांध दी गई।
सत्य हरि शिव मंदिर के पुजारी पुरुषोत्तम उपाध्याय ने बताया कि सूतक काल में मांगलिक कार्य और भगवान की मूर्तियों का स्पर्श करना वर्जित होता है। इसी कारण सूतक लगने से पूर्व ही सभी धार्मिक अनुष्ठान पूरे कर लिए गए। उन्होंने बताया कि सुबह पूजा करने आए श्रद्धालुओं को पहले ही सूचित कर दिया गया था कि दोपहर 12:57 बजे से मंदिरों के कपाट बंद हो जाएंगे। श्रद्धालुओं को घर पर रहकर भगवान का स्मरण करने की सलाह दी गई। जिन लोगों ने गुरु दीक्षा ले रखी है, उन्हें गुरु मंत्र का जाप करने की सलाह दी।
ज्योतिषाचार्य पंडित केदार मुरारी ने बताया कि सूतक काल रविवार दोपहर 12:57 बजे आरंभ हुआ और रात 9:57 बजे से चंद्र ग्रहण शुरू हो गया। यह ग्रहण रात 1:27 बजे तक चला। यानी साढ़े तीन घंटे तक इसका असर रहा। उन्होंने बताया कि 122 साल बाद ऐसा संयोग बना जब पितृ पक्ष के आरंभ पर चंद्र ग्रहण लगा। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार यह घटना विशेष महत्व रखती है। ग्रहण काल के दौरान लोगों ने अपने घरों में रहकर ही मंत्र जाप और भजन-कीर्तन किए।
पुरोहितों ने श्रद्धालुओं को ग्रहण की समाप्ति के बाद स्नान कर भगवान की मूर्तियों और घर के मंदिर को शुद्ध करने की सलाह दी। इसके बाद ही नियमित पूजा-अर्चना करने के लिए कहा गया। ग्रहण और सूतक काल का असर शहर की दिनचर्या पर भी दिखाई दिया। रविवार को अन्य दिनों की तुलना में सड़कों पर लोगों की आवाजाही कम रही। बाजारों में भी भीड़-भाड़ सामान्य दिनों की अपेक्षा काफी कम रही। धार्मिक आस्थाओं और परंपराओं के कारण लोग घरों में ही रहकर धार्मिक कार्यों में लीन दिखे।
