Ayodhya News: जिला अस्पताल में बच्चा वार्ड के चढ़ा मासूम सिस्टम की भेंट, इलाज के बजाय किया रेफर..., सीएमओ ने बैठाई जांच
अयोध्या, अमृत विचार: जिला अस्पताल में एक बार फिर से एक मासूम इलाज में लापरवाही की भेंट चढ़ गया। दो साल के बच्चे के इलाज के लिए नाना दुहाई देते रहे, लेकिन डॉक्टर व नर्सों ने एक न सुनी। आरोप है कि बच्चे का इलाज करने के बजाय उसको रेफर कर दिया। परिजन बच्चे को मेडिकल कॉलेज ले गए, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मामले में सीएमओ ने तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया है।
रुदौली तहसील के ग्राम पुराय निवासी अच्छे लाल ने बताया कि उन्होंने अपने पौत्र दीपक को जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड में दो अक्टूबर को शाम साढ़े सात बजे भर्ती कराया था। चिकित्सकों ने उसका इलाज शुरू किया, लेकिन कुछ ही देर बाद उसकी तबीयत बिगड़ती चली गई। बुखार के साथ उसका शरीर अकड़ रहा था। बार-बार कहने के बावजूद डॉक्टर व नर्स यही कहते रहे कि चलो अभी आते हैं, फिर भी ध्यान नहीं दिया गया। चार अक्टूबर की रात डेढ़ बजे बच्चे की तबीयत बिगड़ने पर एक बार फिर से इलाज के लिए कहा गया, जिसके बाद बच्चे का रेफर बना दिया गया। परिजनों की मानें तो किसी तरह रात काटी गई। सुबह दर्शन नगर स्थित मेडिकल कॉलेज ले गए। वहां पर बच्चे का इलाज चलता रहा, लेकिन 9 अक्टूबर को उसने दम तोड़ दिया।
अच्छे लाल ने इस संबंध में सीएमओ डॉ. सुशील कुमार बानियान को एक शिकायती पत्र दिया। आरोप लगाया कि बच्चे के इलाज में भारी लापरवाही की गई। इसके साथ ही उसे धमकी दी जाती रही कि यदि ज्यादा नेतागिरी करोगे तो गार्डों को बुलाकर फटके लगवाऊंगा। शिकायत का संज्ञान लेते हुए सीएमओ कार्यालय की ओर से उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ.पीके गुप्ता की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन कर दिया गया। इसमें सदस्य के रूप में जिला चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय चौधरी व उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. राजेश चौधरी को सदस्य नामित किया गया है। पांच दिन के अंदर जांच आख्या मांगी गई है।
आए दिन बच्चा वार्ड में आती हैं ऐसी शिकायतें
जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड में यह कोई नया मामला नहीं है। ऐसे मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। अभी साल भर पहले भी एक बच्चे के परिजनों के साथ यही हुआ था। अभद्रता के कारण परिजन बच्चे को लेकर दूसरी जगह इलाज कराने जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया था। वह मामला भी रुदौली के आस-पास का ही था। इसके बाद अभी दो माह पहले भी वार्ड में बच्चों को इलाज न मिलने पर तीमारदारों ने हंगामा काटा था।
