बाराबंकी : मदनी के ‘जिहाद’ बयान पर वसीम राईन का पलटवार, कहा- इन देशद्रोही मानसिकता वाले लोगों को राजनीतिक दुकान बंद होने का डर

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Published By Deepak Mishra
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बाराबंकी, अमृत विचार। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के विवादित बयान के बाद सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। मदनी ने अपने बयान में कहा था कि मुर्दा कौमें मुश्किलों में नहीं पड़तीं, वे सरेंडर कर देती हैं… जिंदा कौम हालात का डटकर सामना करती हैं। जब-जब जुल्म होगा, तब-तब जिहाद होगा। उनके इस बयान पर अब ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसीम राईन ने कड़ा हमला बोला है।

वसीम राईन ने कहा कि महमूद मदनी हमेशा सरकारों से डीलिंग करने में लगे रहे, लेकिन वर्तमान सरकार में दाल न गलने पर वे मुस्लिम समुदाय को भड़काने और गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवादी पसमांदा मुसलमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़ा है और तीन तलाक, वक्फ एक्ट सहित केंद्र सरकार की सभी योजनाओं का समर्थन करता आया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि मदनी जैसे लोगों को अब लगने लगा है कि उनकी दुकान बंद होने वाली है, इसलिए वे उकसाऊ भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। राईन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं पर आरोप लगाना देशद्रोही मानसिकता का परिचायक है और देश का पसमांदा मुसलमान ऐसे लोगों का साथ कभी नहीं देगा।

वसीम राईन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पसमांदा मुसलमानों को आवास, आयुष्मान और राशन जैसी योजनाओं का लाभ बिना किसी भेदभाव के दिया, जिसके कारण पसमांदा मुसलमान भाजपा के साथ मजबूती से खड़ा है। बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को मिले समर्थन को इसका उदाहरण बताते हुए राईन ने कहा कि विपक्ष और मदनी जैसे लोगों की नींद उड़ गई है, क्योंकि अब पसमांदा मुसलमान जागरूक होकर अपने हित में फैसला कर रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि अशराफ मुसलमानों की आबादी महज 15 प्रतिशत है, जबकि 85 प्रतिशत पसमांदा मुसलमान देशहित को प्राथमिकता देते हैं। भारत में मुसलमान जितने सुरक्षित हैं, उतने किसी अन्य देश में नहीं, यह भी पसमांदा समाज भली-भांति समझता है।राईन ने अपील की कि देश के पसमांदा मुसलमान मदनी जैसे लोगों के बहकावे में न आएं और राष्ट्रहित के साथ खड़े रहें।

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