किसके संरक्षण में चल रहीं अवैध पैथोलॉजी! जिले में माफिया कर रहे हजार से अधिक लैब का संचालन, विभाग में करीब 95 पंजीकृत

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Published By Muskan Dixit
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खाद्य विभाग की तर्ज पर त्योहारी अभियान चला कर ली जाती है फर्ज अदायगी, कटघरे में स्वास्थ्य विभाग

पुनीत श्रीवास्तव, अयोध्या, अमृत विचार: जिले में हजार से भी अधिक की संख्या में पैथोलॉजी लैब बे-रोकटोक के चल रही हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की नींद अब खुल रही है। बिना किसी पंजीकरण, बिना योग्य पैथोलॉजिस्ट और बिना न्यूनतम मानक उपकरणों के ये लैब मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रही हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि लंबे समय से ये अवैध धंधा किसकी छत्रछाया में पनप रहा हैं? सूत्रों की मानें तो जिला, महिला अस्पताल, श्रीराम चिकित्सालय, मेडिकल कॉलेज के निकट व रिकाबगंज रोड पर ही 60 से अधिक पैथोलॉजी संचालित हैं, जबकि सूत्र बताते हैं कि स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड में करीब 95 पैथोलॉजी लैब पंजीकृत हैं। इसका मतलब साफ है कि जिले में पैथोलॉजी माफिया बड़े स्तर पर अपना सिंडिकेट तैयार कर भोली भाली जनता को लूट रहे हैं।

जगह-जगह कुकुरमुत्तों की तरह खुली हुईं लैब्स में अधिकांश के पास न तो क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन है और न ही बायोमेडिकल वेस्ट का वैधानिक निस्तारण। इसके अलावा योग्य व तकनीकी स्टाफ भी नहीं है। मरीज को यह तक पता नहीं चलता कि उसकी रिपोर्ट वैध लैब से आई है या किसी दुकान से। यह सब बातें पिछले दिनों हुई स्वास्थ्य विभाग की जांच में भी सामने आई हैं। कई नामी डॉक्टर और अस्पताल इन अवैध लैब्स को मोटा कमीशन देकर मरीजों को वहीं भेजते हैं। इसमें दलालों का एक पूरा नेटवर्क सक्रिय है जो 40-50 प्रतिशत तक कमीशन के खेल में शामिल है। मरीज महंगे टेस्ट कराता है, लेकिन रिपोर्ट की विश्वसनीयता शून्य ही रहती है। स्वास्थ्य विभाग हर साल खाद्य विभाग की तर्ज पर विशेष अभियान चलाता है। दो-चार लैब्स पर मामूली जुर्माना लगा दिया जाता है, कुछ को सील करने का नाटक होता है और उसके अगले ही दिन फिर वही लैब खुल जाती है। स्थायी निगरानी की कोई व्यवस्था आज तक नहीं बनाई गई।

गांव-गांव तक फैला है कॉकस

जिले की आबादी ही लगभग 25 लाख से भी अधिक है। पांच विधानसभा है, यहां 11 विकासखंड हैं। हर तहसील में ही लगभग बड़े हॉस्पिटल खुल चुके हैं। बाजारों में प्रैक्टिशनर से लेकर झोलाछाप तक बैठते हैं। पैथोलॉजी माफिया इन तक पहुंच चुके हैं। आज जहां भी चिकित्सक हैं। उनके आसपास पैथोलॉजी खुली हुई हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग इतने दिनों से कुंभकर्णी नींद सोता रहा।

अब तक आठ अवैध लैब का हुआ खुलासा

रिकाबगंज स्थित लाल पैथ लैब द्वारा एसपी देहात बलवंत चौधरी को गलत रिपोर्ट देने के बाद स्वास्थ्य विभाग की नींद खुली। लाल पैथ लैब की मुख्य शाखा को सील करने के बाद अब तक सात और अवैध पैथोलॉजी पर कार्रवाई कर चुका है। इसमें सीएमओ ऑफिस के निकट, मेडिकल कॉलेज के सामने, तारुन व जाना बाजार की अवैध पैथोलॉजी शामिल हैं।


हमारी तरफ से अवैध पैथोलॉजी पर छापे मारकर जांच की जा रही है। जिले में कितनी पैथोलॉजी वैध हैं। इसकी जानकारी नहीं है, मंगलवार शाम तक ही बता सकता हूं। डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव, एसीएमओ/नोडल अधिकारी, निजी अस्पताल, पैथोलॉजी व डायग्नोस्टिक सेंटर।

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