बरेली: मैथोडिस्ट चर्च का मक्का माना जाता है बरेली

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अमृत विचार, बरेली। मैथोडिस्ट चर्च के संस्थापक जॉन वैसली के समर्थक और उनके सिद्धांतों का अनुसरण करने वाले पादरी विलियम बटलर अमेरिका से 23 सितंबर 1856 को कलकत्ता आए थे। उन्होंने बरेली को अपनी कर्मभूमि बनाया था। यहीं से उन्होंने भारत में मैथोडिस्ट मिशन की शुरुआत करते हुए चर्च की स्थापना की और यहीं से …

अमृत विचार, बरेली। मैथोडिस्ट चर्च के संस्थापक जॉन वैसली के समर्थक और उनके सिद्धांतों का अनुसरण करने वाले पादरी विलियम बटलर अमेरिका से 23 सितंबर 1856 को कलकत्ता आए थे। उन्होंने बरेली को अपनी कर्मभूमि बनाया था। यहीं से उन्होंने भारत में मैथोडिस्ट मिशन की शुरुआत करते हुए चर्च की स्थापना की और यहीं से भारत के अन्य शहरों में मैथोडिस्ट का विस्तार किया। एक प्रकार से मैथोडिस्ट मिशनरी की जन्मस्थली बरेली ही है। इसलिए इसे मैथोडिस्ट का मक्का भी कहा जाता है।

सहायक पादरी प्रमोद ने बताया कि जब विलियम बटलर अमेरिका से आए तो उन्होंने अवध और रुहेलखंड में बरेली को चर्च निर्माण के लिए चुना। इसकी वजह शायद उत्तराखंड की सीमा से सटा होना और प्राकृतिक स्वरूप को लेकर भी रही होगी। चर्च का निर्माण कार्य शुरू होते ही प्रथम स्वतंत्रता संग्राम शुरू होने के चलते निर्माण कार्य बाधित हो गया। इसके बाद वर्ष 1870 में दोबारा चर्च की स्थापना के लिए विलियम बटलर ने मैथोडिस्ट चर्च इन सदर्न एशिया नाम की संस्था बनाई।

प्रोटेस्टेंट शैली में चर्च का निर्माण किया गया। चर्च में वेल टॉवर से मुख्य प्रवेश द्वार बना। उसी वर्ष निर्माण पूरा होने के बाद चर्च का नाम क्राइस्ट मैथोडिस्ट चर्च रखा गया। यहां लगातार प्रभु यीशु की प्रार्थना सभाएं होती हैं। पादरी ने बताया कि वर्ष 1856 में बनी चर्च की मूल इमारत में आज तक कोई बदलाव नहीं हुआ है। सिर्फ कुछ वर्ष पहले इंटीरियर डेकोरेशन जैसे फर्श, दरवाजे और खिड़कियों आदि में बदलाव हुआ है। उन्होंने बताया कि क्रिसमस वाले दिन मुख्य प्रार्थना के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं। शहर के ज्यादातर मैथोडिस्ट परिवार क्रिसमस की प्रार्थना चर्च में आकर ही करते हैं।

इस क्रिसमस पर 150 वर्ष का हो जाएगा चर्च, नहीं मनेगा जश्न
सहायक पादरी ने बताया कि इस बार क्रिसमस पर चर्च को 150 वर्ष पूरे हो जाएंगे लेकिन कोरेाना की वजह से इस बार जश्न नहीं मनाया जाएगा। बताया कि जब कोरोना महामारी से विश्व सुरक्षित हो जाएगा और हमें आसानी से जिला प्रशासन से अनुमति मिल जाएगी तब जश्न मनाया जाएगा।

प्रार्थना सभा में 100 लोग ले सकेंगे हिस्सा
क्राइस्ट मैथोडिस्ट चर्च में इस बार क्रिसमस पर होने वाली प्रार्थना सभा में एक बार में सौ लोग ही शामिल हो सकेंगे। ये सौ लोग दिन में एक ही बार भाग लेंगे। इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराए जाएंगे। जो दिन में भाग लेगा वह रात में भाग नहीं ले सकेगा।

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