बरेली: बर्थ एसफिक्सिया से जा रही नवजातों की जान

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अमृत विचार, बरेली। बर्थ एसफिक्सिया नवजातों की जान खतरे में डाल रही है। जिला अस्पताल में इससे पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ रही है। यदि बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो तो तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाएं और लापरवाही न बरतें। जिला महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. अलका शर्मा के अनुसार दो माह …

अमृत विचार, बरेली। बर्थ एसफिक्सिया नवजातों की जान खतरे में डाल रही है। जिला अस्पताल में इससे पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ रही है। यदि बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो तो तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाएं और लापरवाही न बरतें।

जिला महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. अलका शर्मा के अनुसार दो माह से बर्थ एसफिक्सिया से ग्रसित बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई है। प्रसव पूर्व गर्भवतियों को गर्भावस्था के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया जाता है, लेकिन परिजनों की गलती नौनिहालों के लिए खतरा बन रही है। दो माह में 20 बच्चों में इसके लक्षण मिले हैं।

क्या है बर्थ एसफिक्सिया
बर्थ एसफिक्सिया को पेरीनेटेल एसफिक्सिया और न्यूनेटेल एसफिक्सिया भी कहा जाता है। यह बच्चे को जन्म के तुरंत बाद होता है। जब ऑक्सीजन बच्चे के मस्तिष्क तक नहीं पहुंच पाता और बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। बच्चे के शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। शरीर में एसिड का स्तर बढ़ जाता है। यह जानलेवा हो जाता है। इसलिए तुरंत इलाज की आवश्यकता होती है।

बर्थ एसफिक्सिया के लक्षण
त्वचा का रंग बदल जाना। प्रसव के तत्काल बाद शिशु का एकदम शांत होना या न रोना। हृदय की गति कम होना। सांस लेने में कठिनाई। बच्चे का सुस्त होना जैसे इसके लक्षण हैं। ऐसी स्थिति में अगर बच्चा है तो तत्काल बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क कर उसका इलाज कराएं।

गंभीर हालत में दो बच्चों की हो गई थी मौत
महिला अस्पताल प्रशासन के अनुसार बीते माह स्थानीय सामुदायिक केंद्र से रेफर होकर आए दो बच्चे बर्थ एसफिक्सिया से ग्रसित थे। इनकी मौत हो गई थी। जानकारी करने पर पता चला कि परिजन गर्भवती को अस्पताल न ला जाकर झोलाछाप से इलाज करा रहे थे। महिला की हालत गंभीर होने पर अस्पताल लेकर आए। ऐसे में इलाज के दौरान बच्चों ने दम तोड़ दिया था।

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