हरदोई: आर्थिक कमजोर सेंट जेम्स स्कूल के बच्चों को दी जा रही प्रताड़ना, परीक्षा देने से किया जा रहा वंचित

Amrit Vichar Network
Published By Amrit Vichar
On

हरदोई। जिले के नामचीन स्कूल सेंट जेम्स में इन दिनों आर्थिक रुप से कमजोर बच्चों का मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है । तीन महीने की पूरी फीस न जमा होने पर उनका परिचय पत्र नहीं दिया जा रहा है और उन्हें परीक्षाओं में भी नहीं बैठने दिया जा रहा है। ऐसे बच्चों को पूरे …

हरदोई। जिले के नामचीन स्कूल सेंट जेम्स में इन दिनों आर्थिक रुप से कमजोर बच्चों का मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है । तीन महीने की पूरी फीस न जमा होने पर उनका परिचय पत्र नहीं दिया जा रहा है और उन्हें परीक्षाओं में भी नहीं बैठने दिया जा रहा है। ऐसे बच्चों को पूरे क्लास के सामने शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है।

बताते चलें सेंट जेम्स स्कूल में वर्तमान सत्र में तीन महीने की फीस एक साथ जमा कराने का नियम लागू किया गया है। इस हिसाब से एक बच्चे को 8 से 12 हजार एक साथ जमा करने पड़ते हैं। ऐसी स्थिति में उन अभिभावकों के सामने समस्या उत्पन्न होती है जिनकी स्थिति कमजोर है।

अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाने की इच्छा रखने वाले अभिभावक इस आदेश से मुश्किलों का सामना उठा रहे हैं। वहीं विद्यालय द्वारा परिचय पत्र देने का क्रम शुरू किया गया है परिचय पत्र वाले छात्र-छात्राओं को ही विद्यालय में प्रवेश मिलेगा इस तरह का आदेश भी प्रबंध तंत्र ने दिया है।

विद्यालय प्रबंध तंत्र ने परिचय पत्र के लिए एक शर्त रखी है कि जिसकी तीन महीने की फीस पूरी जमा होगी उसी को परिचय पत्र दिया जाएगा यही नहीं तीन महीने की फीस एक साथ जमाना होने पर तमाम बच्चों को गृह परीक्षाओं में नहीं बैठने दिया गया। काफी अनुनय- विनय के बाद ऐसे बच्चों को परीक्षा कक्ष में बैठने दिया गया।

ऐसी स्थिति में कमजोर आर्थिक स्थिति से ताल्लुक रखने वाले बच्चे पूरे विद्यालय के सामने बेइज्जती महसूस करते हैं। नाम न छापने की शर्त पर कुछ अभिभावकों ने अपना दुखड़ा बताया यही नहीं ऐसे अभिभावकों को उस समय और भी कठिनाई सहनी पड़ी जब अभिभावक शिक्षक बैठक के दिन उनसे चैरिटी फंड की मांग की गई। यह चैरिटी किस चीज के लिए इकट्ठा की जा रही है इसका जवाब कोई नहीं दे सका।

बताते चलें जिले के लगभग अधिकांश अधिकारियों के बच्चे इस स्कूल में पढ़ते हैं इस वजह से विद्यालय अपनी मनमानी करने में पीछे नहीं रहता है। हालांकि सरकार का स्पष्ट आदेश है कि किसी भी बच्चे का आर्थिक यह शारीरिक उत्पीड़न न किया जाए लेकिन उक्त विद्यालय सरकार के नियमों को रद्दी की टोकरी में डाल कर अपने तानाशाही रवैया पर उतारू है।

विद्यालय में बच्चों को की पढ़ाने की मजबूरी के चलते अभिभावक अपनी शिकायत भी उचित मंच पर नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन अगर जिला प्रशासन स्वत: संज्ञान लेकर इस बात की जांच कराए तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।

इस संबंध में जानकारी करने के लिए जब विद्यालय के प्रधानाचार्य से फोन किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। विद्यालय के इस रवैया को लेकर जब जिला विद्यालय निरीक्षक से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अब तक उन्हें इस प्रकार की कोई शिकायत नहीं मिली है। शिकायत मिलने पर उचित कार्रवाई की जाएगी।

पढ़ें-CBSE में इशिता ने किया जिला टॉप, मां-बाप का नाम किया रोशन

संबंधित समाचार