मुरादाबाद : आयुष्मान पखवाड़े में भी नहीं बढ़ रही गोल्डन कार्ड बनाने की रफ्तार, जानिए क्यों?
मुरादाबाद,अमृत विचार। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में गोल्डन कार्ड बनाने की रफ्तार जिले में नहीं बढ़ रही है। कार्ड बनाने में जनसेवा केंद्र संचालकों की मनमानी होने से लाभार्थियों को चक्कर काटना पड़ रहा है। वहीं जिनके कार्ड बने हैं उनको इलाज के नाम पर पैनल में शामिल निजी अस्पताल के संचालक दौड़ा …
मुरादाबाद,अमृत विचार। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में गोल्डन कार्ड बनाने की रफ्तार जिले में नहीं बढ़ रही है। कार्ड बनाने में जनसेवा केंद्र संचालकों की मनमानी होने से लाभार्थियों को चक्कर काटना पड़ रहा है। वहीं जिनके कार्ड बने हैं उनको इलाज के नाम पर पैनल में शामिल निजी अस्पताल के संचालक दौड़ा रहे हैं।
आयुष्मान भारत योजना में बेसलाइन सर्वे के आधार पर 2011 में बने बीपीएल सूची के लोगों को शामिल किया गया है। इसमें जिले में 2,96,351 लाभार्थी परिवार के 13,73,560 पात्र लाभार्थी सूची में शामिल हैं। जिनका आयुष्मान कार्ड बनना है। इस कार्ड के धारक व परिवार के नामित सदस्य को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का निशुल्क इलाज की सुविधा मिलती है।
योजना का कार्ड बनाने के लिए जनसेवा केंद्रों को अधिकृत किया गया है। इसके अलावा पैनल में शामिल अस्पतालों और जिला अस्पताल व मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में भी आयुष्मान मित्रों के माध्यम से कार्ड बनाए जा रहे हैं, लेकिन अब कार्ड बनाने में जनसेवा केंद्रों के संचालक रुचि नहीं ले रहे हैं। क्योंकि उनको कार्ड बनाने के लिए बदले सरकार बाद में धनराशि का भुगतान करती है। इसके चलते जनसेवा केंद्रों के संचालक कार्ड बनाने में आनाकानी करते हैं। ऊपर से कभी नेटवर्किंग का पेच तो कभी आवेदन में शर्तों के पूरा न होने के नाम पर लाभार्थियों को दौड़ाया जाता है। जिसके चलते लाभार्थियों की रुचि भी इसमें कम हो गई है। वह भी कार्ड बनवाने में आ रहीं परेशानियों की वजह से पीछे हट जाते हैं। इससे योजना का सही लाभ पात्रों को नहीं मिल रहा है।
कई परिवारों का नाम सूची में ढूंढने में भी आनाकानी की जाती है। हालांकि कार्ड बनाने में पिछड़ने से चिकित्साधिकारियों को कई बार प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक में फजीहत झेलनी पड़ती है। योजना के जिला डिस्ट्रिक्ट आईटी मैनेजर रचित गुप्ता का कहना है 15 से 30 सितंबर तक आयुष्मान पखवाड़े में हर दिन 7000 से अधिक कार्ड शिविर में बन रहे हैं। इसमें और तेजी आएगी।
अब आशाओं के माध्यम से बनेगा कार्ड
अब सरकार ने आशाओं के माध्यम से आयुष्मान कार्ड सीधे बनवाने की सुविधा दी है। इलाज में भी आनाकानी
जिन लाभार्थियों के कार्ड बन गए हैं उनको सरकारी अस्पताल में तो इलाज मिल जाता है। लेकिन, पैनल में शामिल 45 से अधिक निजी अस्पतालों में नियमों का पाठ पढ़ाकर लाभार्थियों को वापस लौटा दिया जाता है। कई बार पैकेज में सस्ते इलाज का सपना दिखाकर लाभार्थियों के कार्ड से अधिक भुगतान भी निजी अस्पताल करा ले रहे हैं। जिसकी आडिट में आपत्ति भी मिल रही है। ऐसे में मनमानी के चलते योजना लाभार्थियों के लिए आसानी के साथ परेशानी भी बन रही है।
यह है योजना का लक्ष्य और प्रगति लक्ष्य
- लाभार्थी परिवारों की संख्या -2,96,351
- कुल लाभार्थियों की संख्या -13,73,560
प्रगति
- लाभार्थियों के बने कार्ड -4,16,000
- लाभ पा चुके पात्र -1,54,000
ये भी पढ़ें : मुरादाबाद : मूंढापांडे में पल्स पोलियो अभियान का बहिष्कार, सकते में स्वास्थ्यकर्मी
