लखनऊ: प्रो. माहरूख मिर्जा से हो सकती है रिकवरी, फर्जी डिग्री के जरिये भाषा विश्वविद्यालय में कुलपति पद संभालने का लगा है आरोप

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लखनऊ, अमृत विचार। राजधानी में आईआईएम रोड स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अरबी फारसी विश्वविद्यालय के फर्जी डिग्री के आरोप में फंसे प्रोफेसर माहरुख़ मिर्जा के खिलाफ जांच में तेजी शुरू हो गई है। कानपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद भाषा विश्वविद्यालय में जांच कर रही कमेटी से …

लखनऊ, अमृत विचार। राजधानी में आईआईएम रोड स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अरबी फारसी विश्वविद्यालय के फर्जी डिग्री के आरोप में फंसे प्रोफेसर माहरुख़ मिर्जा के खिलाफ जांच में तेजी शुरू हो गई है। कानपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद भाषा विश्वविद्यालय में जांच कर रही कमेटी से जल्द रिपोर्ट देने को कहा गया है। इस मामले में राजभवन की निगाहें भी टेढ़ी हैं।

कमेटी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जांच रिपोर्ट सौपते ही माहरुख़ मिर्जा के कुलपति के कार्यकाल से वेतन की रिकवरी हो सकती है। माहरुख़ मिर्ज़ा पर आरोप हैं कि कुलपति रहते हुए पद का गलत इस्तेमाल कर वित्तीय अनियमितता और शिक्षकों की नियुक्तियों में हेर-फेर किया गया था। आरोप है कि इन नियुक्तियों के खेल में भाजपा के एक बड़े नेता भी शामिल थे, लेकिन ऑनपेपर सभी कार्य कुलपति रहते प्रो.माहरूख ने अपनी कलम चलाई थी।

इस इस संबंध में कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने जांच कमेटी गठित की थी। राज्यपाल ने पहले अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस गर्ग की अध्यक्षता में, निदेशक उच्च शिक्षक और केजीएमयू के कुलसचिव को जांच कर एक महीने में कार्रवाई के निर्देश दिए थे। उसके बाद भाषा विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित कर रिपोर्ट देने को कहा गया था, जो रिपोर्ट अभी तक नहीं भेजी गई थी, लेकिन अब प्रोफेसर विनय पाठक का मामला सामने आने के बाद फिर से तेजी दिखाई जा रही है।

हालांकि इस कमेटी में शामिल लोग ज्यादा कुछ बोलने से बच रहे हैं। वही वर्तमान कुलपति प्रोफेसर एनबी सिंह का कहना है कि जिन बिंदुओं पर कमेटी को जांच करनी थी उसमें कई बिंदु पूरे हो गए हैं बाकी आगे की कार्रवाई के लिए जल्द ही चिट्ठी भेजी जाएगी।

पूर्व में भी न्यायाधीश की निगरानी में हो चुकी हैं जांच
पूर्व में भी न्यायाधीश एसके त्रिपाठी की जांच में ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्विद्यालय में प्रोफेसर के पद पर हुई उनकी नियुक्ति के विरुद्ध अपनी रिपोर्ट दे चुके है। इसके बाद अब दूसरी कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार हो रहा है।

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