बांदा: गुरुद्वारे में धूमधाम से मनाया गया गुरुनानक जयंती, श्रद्धालुओं ने पंगत में बैठ छका भंडारा

बांदा, अमृत विचार। गुरुनानक की 553वें जयंती समारोह का आयोजन मंगलवार को गुरुद्वारा में हुआ। गुरुवाणी सत्संग से पहले कार्तिक महात्म्य की कथा का समापन हुआ और प्रभातफेरी निकाली गई। गुरु ग्रंथ साहिब के पाठ का परायण होने के बाद श्रद्धालुओं ने रुमाल अर्पित किया। तकरीबन डेढ़ हजार श्रद्धालुओं ने पंगत में बैठकर भंडारा छका। …
बांदा, अमृत विचार। गुरुनानक की 553वें जयंती समारोह का आयोजन मंगलवार को गुरुद्वारा में हुआ। गुरुवाणी सत्संग से पहले कार्तिक महात्म्य की कथा का समापन हुआ और प्रभातफेरी निकाली गई। गुरु ग्रंथ साहिब के पाठ का परायण होने के बाद श्रद्धालुओं ने रुमाल अर्पित किया। तकरीबन डेढ़ हजार श्रद्धालुओं ने पंगत में बैठकर भंडारा छका। कार्तिक पूर्णिमा को गुरुनानक जयंती का समारोह गुरुद्वारे में आयोजित हुआ। गुरुवाणी सत्संग सुनने को श्रद्धालु सुबह से ही यहां जुट गये थे। गुरुद्वारा में कार्तिक महात्म्य की कथा सुनाई गई।
इससे पहले नगर में प्रभात फेरी निकाली गई, जिसमें सिख समुदाय समेत भारी तादाद में हिंदुओं ने भी भागीदारी की। पूर्वाह्न 11 बजे गुरु ग्रंथ साहिब के पाठ का परायण हुआ। पूजन के बाद श्रद्धालुओं ने आरती उतारी। गुरु ग्रंथ साहिब पर रुमाल अर्पित किया। गुरुद्वारे के मुख्य ग्रंथी संत अमरलाल ने गुरु नानक जयंती पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरुनानक का जन्म 1469 में कार्तिक की पूर्णिमा को तिलवंडी नामक ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम महिता कल्याण दास और माता का नाम तृपिदा था।
गुरुनानक के तीन उपदेश थे। पहला हक हलाल की कमाई करना। दूसरा बांट के खाना। तीसरा नाम जपना। उनके अनुयायी आज भी इन उपदेशों को पालन करते हैं। मुख्य ग्रन्थी ने शबद गाया ‘ऊंचा दर बाबे नानिक दा प्यारा दर बाबे नानिक दा’। बहन वैशाली दरियानी ने भजन गाया ‘धन गुरुनानक सारा जग तारिया’ इस धुन पर सभी महिलाओं पुरुषों के पैर थिरकने लगे। सभी श्रद्धालु खूब नाचे-झूमे और खुशियों का इजहार किया। 553 वे प्रकाशोत्सव का केक भी काटा गया। श्याम आरेजा ने बधाई गीत गाकर मौज मचा दी।
इसके बाद सभी ने मिलकर गुरु चरणों मे अरदास की। इसके साथ ही देश की एकता अखंड़ता सबके भले की कामनाओं से अरदास प्रार्थना की गयी। सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी ने भी गुरु ग्रंथ साहिब पर रुमाल अर्पित कर आशीर्वाद लिया। अंत मे तकरीबन डेढ़ हजार लोगों ने लंगर प्रसाद (भंडारा) का आयोजन हुआ, जिसमें लोगों ने रोटी, सब्जी, चावल, दाल, बूंदी, सलाद, कड़ाव आदि का प्रसाद छका। आयोजन में दादा प्रताप राय, नामामल, नूतनदास, जगदीश, प्रेम आहूजा, सुदामा आदि मौजूद रहे।
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