मेरठ: बेटा नहीं था तो बेटियों ने निभाया पुत्र धर्म, पहले दी मुखाग्नि अब बंधवाई पगड़ी

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Published By Vishal Singh
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मेरठ, अमृत विचार। बेटियों को कोख में ही मार देने वाले,  बेटी होने पर शोक जताने वाले और बेटियों को बोझ समझने वाले उन माता-पिताओं को मोदीपुरम के अप्पू एंक्लेव निवासी दो बेटियों से सबक लेना चाहिए। पिता की मौत के बाद दोनों बेटियों ने अपना धर्म निभाते हुए पहले पिता को मुखाग्नि दी और सोमवार को सिर पर पगड़ी बंधवाई।

अप्पू एंकलेव के 76 नंबर फ्लैट में रहने वाले 54 वर्षीय अखिलेश पाण्डेय का 4 जनवरी को हृदय गति रुकने से निधन हो गया था। अखिलेश अपनी पत्नी रजनी पाण्डेय के साथ रहते थे। उनके कोई पुत्र नही था। जबकि, दो बेटी शूचि और वैष्णवी है जो मुंबई में रहकर नौकरी करती हैं।

पिता की मौत की जानकारी मिलने पर दोनों बेटियां मोदीपुरम पहुंची। छोटी बेटी वैष्णवी ने पिता को मुखाग्नि देकर अंतिम विदाई दी। सोमवार को रसम पगड़ी का कार्यक्रम हुआ, जिसमें छोटी बेटी वैष्णवी ने विधि विधान से सभी कार्य संपन्न कराए। दोनों बहनों ने एक दूसरे का साथ देते हुए पुत्र धर्म निभाया।

इस दौरान मौजूद सभी लोगों ने बेटियों के इस कदम की सराहना की और कहा आज बेटियां बेटों से कम नहीं है। उन पिताओं को इन बेटियों से सबक लेना चाहिए, जो गर्भ में ही बेटियों को मार देते हैं या बेटियों के पैदा होने पर शोक जताते हैं। लोगों ने दोनों बेटियों को आदर्श बताते हुए आगे बढ़ने का संकल्प दिलाया। 

मुंबई में कार्य करती है दोनों बहने
मां रजनी पांडे ने बताया कि उनकी छोटी बेटी वैष्णवी मुंबई में आईसीआईसीआई बैंक में अधिकारी है। जबकि बड़ी बहन शुचि भी मुंबई में सिघानियां ग्रुप में अधिकारी के रूप में कार्यरत है। दोनों बहनों का मानना है कि समाज बेटियों की कद्र करे तो बेटियां भी समाज का संबल बन सकती हैं। दोनों ने पिता की स्मृतियों को जीवंत रखने के लिए अखिलेश सेवा ट्रस्ट शुरू करने की बात भी कही।

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