अयोध्या: गौशाला में गाय के गोबर से बनाई जाएगी मूर्ति और दीये, कोटद्वार से लाई गई है ड्रिल मशीन

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Published By Deepak Mishra
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अयोध्या। गौशालाएं केवल छुट्टा मवेशियों को पालने और खिलाने की जगह नहीं रह गई है। यह गौशालाएं अब औद्योगिक आस्थान का रूप ले रही हैं। इसकी शुरूआत नगर निगम की एक गौशाला से हो चुकी है। जहां अभी तक मवेशियों के गोबर अच्छी फसल के लिए खाद बनाने और घरों को लीपकर शुद्धिकरण के लिए प्रयोग होता था।

वहीं रामनगरी में अब गोबर से भगवान की मूर्ति बनाई जाएगी। गोबर का उपयोग दीये तैयार करने और कण्डे के साथ गमले बनाने में भी होगा। यह नगर निगम की जयसिंह मऊ स्थित कान्हा गौशाला उपवन है, जहां गोबर के कण्डों के बाद अब गोबर के साथ अन्य वस्तुओं को मिलाकर लेटे हुए भगवान गणेश जी की मूर्ति भी तैयार की जा रही है। इसका सांचा और ड्रिल मशीन कोटद्वार उत्तराखण्ड से मंगाई गई है। इस गोशाला में गोबर से दीये का निर्माण भी किया जा रहा है। गमले भी तैयार किए जाएंगे। 

भगवान गणेश के अलग-अलग स्वरूप की गई डाई यहां रखी गई है जिसकी साइज 11 इंच 9 इंच की है। भविष्य में यहां शिव जी की भी मूर्ति बनाई जाएगी। इसके अलावा गोबर के मोती, शुभ लाभ के पत्ते टेबल साइज के बनाये जाएंगे। इसके अलावा गोबर के गणपति जी का मुखौटा भी बनाया जाएगा। इसमें गोबर के साथ गोबर में ग्वारगन, मैदा लकड़ी, मुलतानी मिट्टी का प्रयोग किया जाता है। इसे चक्की में पीसने के बाद मिक्स किया जाता है। इसके बाद इससे मूर्ति, दीये, गमले बनाये जाते हैं।  

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उत्तरांचल की नीलम दीदी दे रही महिलाओं को प्रशिक्षण
गोबर से भगवान की मूर्ति, दीये और गमले बनाने के लिए नगर निगम की गोशाला में विगत तीन दिनों से महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। अभी 15-16 महिलाएं एनआरएमएम ग्रुप की प्रशिक्षण ले रही हैं। इन महिलाओं को गोबर के बहुपयोगी वस्तुएं बनाने का प्रशिक्षण देने के लिए उत्तराखण्ड से नीलकंड उर्फ नीलम दीदी आई हैं। वह कहते हैं कि शुद्ध गोबर के साथ मैदा लकड़ी, जैविक ग्वारगन पाउडर डाला जाता है। गोबर को बाइंड करने का कार्य किया जाता है। 

क्या गोबर के दिये जलेंगे
नीलकंड बताती हैं कि गोबर के दिये उपले से भी हलका होते हैं। पानी में डिप करके खड़ी बत्ती लगाई जाती है। 20 से 40 मिनट जल सकती है। पूरी तरह से सूखा हुआ दीया 30 से 45 मिनट तक पानी में उतरा सकता है। दीये, गमले की डाई आई है। गमले की दो एक आटोमेटिक व एक मैनुअल डाई है। दीये की मैनुअल मशीने हैं। इसे चार साल का बच्चा भी चला सकता है। 

गौशाला में गोबर से दीये बनाने का कार्य अभी शुरू हुआ है। गोबर से लेटे हुए भगवान गणेश की मूर्ति भी बनाई जाएगी। इसके लिए महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। जल्द ही कार्य शुरू हो जाएगा ...वागीश धर द्विवेदी, अपर नगर आयुक्त।

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