14 कोसी परिक्रमा मार्ग के बदलाव को लेकर डीएम के पास पहुंचे संत 

बोले, नाका हनुमानगढ़ी से प्रयागराज जाने वाले मार्ग को मिले 14 कोसी की मान्यता 

14 कोसी परिक्रमा मार्ग के बदलाव को लेकर डीएम के पास पहुंचे संत 

अयोध्या, अमृत विचार। अयोध्या के 14 कोसी परिक्रमा मार्ग में प्रस्तावित परिवर्तन के संबंध में बुधवार को संतों के प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी नितीश कुमार से कलेक्ट्रेट सभागार में वार्ता की। नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास के नेतृत्व में पहुंचे साधु-संतों ने ज्ञापन देने के बाद कहा कि मार्ग में परिवर्तन के प्रस्ताव को निरस्त करके नाका हनुमानगढ़ी के पूरब चौक से प्रयागराज जाने वाली सड़क के पारम्परिक मार्ग को ही चौदहकोसी मार्ग के रूप में मान्यता प्रदान किया जाए। 
 
बैठक के दौरान संतों ने कहा कि नयाघाट सरयू तट के निकट से सूर्य कुंड, दर्शन नगर आदि पौराणिक स्थलों से होते हुये ग्राम जनौरा से फैजाबाद प्रयागराज जाने वाली मुख्य सड़क पर पौराणिक पीठ नाका हनुमानगढ़ी के पूरब प्रवेश द्वार को स्पर्श करते हुये राम नगर कालोनी से मोदहा चौराहा, जमथरा, गुप्तारघाट, प्रहलाद घाट, चक्रतीरथ से होते हुये नयाघाट सरयू तट पर समाप्त होती है। मार्ग अविस्मरणीय समय से अबाधित रूप से चला आ रहा है। ऐसी पौराणिक पीठ नाका हनुमानगढ़ी का दर्शन और मन्दिर के मुख्य फाटक के चौखट का स्पर्श करने का पौराणिक महत्व है।

उल्लेखनीय है कि पारम्परिक परिक्रमा मार्ग के लगभग 200 मीटर पूरब से जो परिक्रमा मार्ग प्रस्तावित किये जाने की जानकारी हम लोगों को है उक्त मार्ग के चौड़ीकरण में तमाम गरीबों का निवास प्राचीन मरी माता मन्दिर व अन्य मंदिर है। विवाह आदि पर आस-पड़ोस के सनातन धर्मावलम्बियों के द्वारा पूजा करने का चढ़ाने आदि की परम्परा है। उक्त मार्ग के दोनों तरफ रह रहे स्थानीय निवासी भी प्रभावित होंगे। पारम्परिक परिक्रमा पथ को यथावत बनाये रखने अथवा उसके चौड़ीकरण में किसी भी धर्म के धार्मिक स्थल को प्रभावित होने अथवा क्षति पहुंचने की आशंका नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि किसी के निहित स्वार्थ की सिद्धि के लिये 14 कोसी परिक्रमा का अविस्मरणीय समय से चला आ रहा पौराणिक मूलमार्ग के पूरब से ही घुमाने का प्रस्ताव दिया गया है जो न्यायोचित नहीं है तथा आस्था और पौराणिक मान्यताओं के विपरीत है। संतों के मुताबिक जिलाधिकारी ने मामले पर विचार करने की बात कही है।

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