UP : कर्मचारियों की हड़ताल से चरमरायी बिजली व्यवस्था, कई इलाकों में जनजीवन प्रभावित

UP : कर्मचारियों की हड़ताल से चरमरायी बिजली व्यवस्था, कई इलाकों में जनजीवन प्रभावित

लखनऊ।  उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के चौथे दिन रविवार को कई जिलों में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। हड़ताल को समाप्त करने के लिये सरकार ने कर्मचारी नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और संविदा कर्मियों को कार्यमुक्त करने की चेतावनी दी वहीं हड़ताल पर अड़े कर्मचारियों ने कहा कि शांतिपूर्ण आंदोलन के दौरान अगर किसी कर्मचारी की गिरफ्तारी होती है तो हड़ताल अनिश्चिकाल के लिये बढ़ायी जा सकती है। बिजली कर्मचारियों की हड़ताल से राज्य के कई इलाकों में जनजीवन प्रभावित होने लगा है। 

फतेहपुर, कुशीनगर, बलिया, सीतापुर, रायबरेली, प्रतापगढ, जौनपुर और देवरिया समेत कई इलाकों में बिजली की लुकाछिपी से भीषण पेयजल संकट पैदा हो गया है। वहीं बाजारों में धड़धडाते जनरेटर सेट से निकल रहे दमघोंटू धुयें से आबोहवा विषैली हुयी है। सरकार ने हड़ताली कर्मचारियों पर एस्मा और रासुका के तहत कार्रवाई करने की चेतावनी दी है तो वहीं उच्च न्यायालय ने भी हड़ताल को गैर जरूरी बताते हुये इसे अदालत की अवमानना करार दिया है।

इसके बावजूद हड़ताली कर्मचारियों के रवैये में कोई खास फर्क नहीं पड़ा है। कर्मचारी नेताओं की दलील है कि वे भी हड़ताल के पक्षधर नहीं है मगर ऊर्जा मंत्री पिछले साल दिसंबर में कर्मचारी नेताओं के साथ उनकी मांगों के संबंध में किये गये समझौते से मुकर रहे हैं। उन्होने इस मामले में मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील की है। हड़ताल के चलते आम जनता को हो रही परेशानियों से खफा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज दोपहर ऊर्जा मंत्री और पावर कारपोरेशन के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलायी और हालात की समीक्षा की।

इस बीच आज सुबह ओबरा ताप विद्युत संयंत्र की 200-200 मेगावाट की पांच इकाइयों में उत्पादन बंद होने से विद्युत आपूर्ति और जटिल हुयी। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि सरकार ने प्रस्तावित ओबरा डी संयंत्र को राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम के हवाले करने का फैसला किया है जो उन्हे कतई मंजूर नहीं है। इससे पहले ओबरा सी की 660 मेगावाट की दो इकाइयों को निजी क्षेत्र के हवाले किया जा चुका है। सरकार की निजीकरण की नीति सही नहीं है।
सरकार को हाल ही में लिये गये फैसले को वापस लेना चाहिये। पावर कारपोरेशन के इंजीनियर और कर्मचारी अपने उत्पादन संयंत्र को चलाने में पूरी तरह सक्षम है।

उधर ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने हड़ताल खत्म करने की अपील करते हुये चेतावनी दी कि ऐसा न करने की दशा में आज रात तक हडताली संविदाकर्मियों की सेवायें समाप्त कर दी जायेंगी और हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ एस्मा के तहत कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा कि 22 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है। आंदोलन कर रहे बिजली कर्मचारी न सिर्फ जनता की दिक्कतों को नजरअंदाज कर रहे है बल्कि उच्च न्यायालय की अवमानना भी कर रहे हैं।

सरकार पहले भी संघर्ष समिति के नेताओं से बात कर चुकी है और अभी भी बातचीत के दरवाजे खुले हैं मगर उनको अंतिम चेतावनी है कि हड़ताल को समाप्त कर बातचीत के लिये आगे आयें वरना कड़ी कार्रवाई भुगतने के लिये तैयार रहें। इस बीच बिगड़ते हालात को काबू करने के लिये कई जिलों में हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ जिला प्रशासन ने मुकदमे दर्ज कराने शुरू कर दिये हैं। हड़ताली कर्मचारियों को हालांकि एस्मा का डर भी सता रहा है।

कर्मचारियों का मानना है कि एस्मा के तहत कार्रवाई होने का असर उनके करियर पर पड़ेगा। उन्हें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से परिस्थितियां जल्द ही काबू में होंगी। विद्युत उत्पादन को नियंत्रित करने के लिये एनटीपीसी के इंजीनियरों के अलावा निजी क्षेत्र के तकनीकी स्टाफ की भी मदद ली जा रही है। इस बीच सरकार ने हड़ताली संविदा कर्मचारियों को कार्यमुक्त करने की कार्यवाही शुरू कर दी है।

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