Kanpur News : HAL की 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के फैसले पर मोदी सरकार को घेरने की तैयारी

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर में एचएएल की 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के फैसले पर मोदी सरकार को घेरने की तैयारी।

कानपुर में एचएएल की 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के फैसले पर मोदी सरकार को घेरने की तैयारी। भारतीय मजदूर संघ 7 अप्रैल से अधिवेशन विरोध का प्रस्ताव लाएगा। यूनियन नेताओं ने कहा, नवरत्न कंपनी को कौड़ी मोल बेचने की साजिश।

कानपुर, [महेश शर्मा]। एयरोस्पेस व रक्षा क्षेत्र की दिग्गज नवरत्न कंपनी एचएएल (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स कंपनी लि.) की साढ़े तीन प्रतिशत हिस्सेदारी भारत सरकार बेचने की तैयारी में है। इससे सरकार को 28 सौ करोड़ से अधिक की आय होगी। सरकार के इस फैसले के खिलाफ संघ परिवार के मजदूर संगठन भारतीय मजदूर संगठन ने मोदी सरकार के खिलाफ मोरचा खोल लिया है।

इसी 7, 8 और 9 अप्रैल को पटना में आयोजित भारतीय मजदूर संघ के त्रैमासिक राष्ट्रीय अधिवेशन एचएएल के शेयर बिक्री के केंद्र के फैसले का पुरजोर विरोध करने का प्रस्ताव लाने की तैयारी है। कानपुर में एचएएल का बड़ा कारखाना है जहां डोर्नियर व अन्य ट्रेनर एयरक्राफ्ट बनाए जाते हैं। यहां के एचएएल को ओवरहॉलिंग और रिपेयरिंग का बड़ा केंद्र माना जाता है। कानपुर में एचएएल में ग्राहक सम्मेलन में विदेशों से भी क्रेता आते हैं।

हिस्सेदारी बेचकर मिलेंगे 2864 करोड़

फिलहाल साढ़े तीन प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए फ्लोर प्राइस 175 रुपये से भी कम बताया जाता है। कर्मचारी संघ के मनोरंज प्रसाद कहते हैं कि यह तो शुरुआत है। रक्षा क्षेत्र यह कंपनी मल्टी बैगर है। मल्टी बैगर का अर्थ ऐसे शेयर या स्टॉक जो अपनी लागत का कई गुना रिटर्न देते हैं। जानकारी के अनुसार सिर्फ तीन साल में इस कंपनी ने 525 प्रतिशत का बंपर रिटर्न दिया है। तीन साल पहले यदि किसी निवेशक ने एक लाख रुपये निवेश किया है तो अब उसकी वैल्यू सवा पांच लाख होगी।

एचएएल के ऑफर फॉर सेल डिटेल की बात करें तो बीएसई पर उपलब्ध सूचना के अनुसार सरकार इसमें 1.75 प्रतिशत हिस्सेदारी यानी 58,51,782 शेयर बेचेगी। ओवर सब्सक्रिप्शन होने पर 1.75 प्रतिशत हिस्सेदारी अतिरिक्त बेची जाएगी। 2864 करोड़ सरकार को मिलेंगे। इस प्रकार कुल साढ़े तीन प्रतिशत हिस्सेदारी बेचे जाने का प्लान है। एचएएल में सरकार की हिस्सेदारी 75.15 प्रतिशत है।

नवरत्न कंपनी के निजीकरण की साजिश

भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के राष्ट्रीय महामंत्री मुकेश सिंह ने बताया कि बीते साल नवंबर में सरकार की विनिवेश नीति के खिलाफ दिल्ली में रैली हुई थी जिसमें एचएएल में भारत सरकार की हिस्सेदारी को बेचने के निर्णय का मुद्दा उठाया गया था। भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश महामंत्री अनिल उपाध्याय ने बताया कि सरकार के इस कदम का विरोध किया जाएगा।

उपाध्याय कहते हैं कि पटना में होने वाले अधिवेशन में मोदी सरकार के खिलाफ नवरत्न कंपनी एचएएल की हिस्सेदारी बेचने के निर्णय को वापस लेने तक विरोध प्रदर्शन का प्रदर्शन लाया जाएगा। एचएएल (कानपुर) कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मनोरंजन प्रसाद का कहना है कि हिस्सेदारी बेचकर एचएएल का निजीकरण करने के केंद्र सरकार के मंसूबे पूरे नहीं होने दिए जाएंगे। आयुध निर्माणियों को कॉरपोरेट कंपनियों में लाने के फैसले का ही देशव्यापी विरोध किया जा रहा है। 

2018 में हुई थी विनिवेश की शुरुआत

एचएएल के विनिवेश की शुरुआत पांच साल पहले 2018 में हुई थी। इस वर्ष एचएएल ने अपना आईपीओ जारी किया था। इसके बाद ही एचएएल में भारत सरकार की हिस्सेदारी सौ प्रतिशत से घटकर 89.97 प्रतिशत तक रह गयी थी। इससे सरकार को करीब 4,229 करोड़ रुपया मिला था।

डिफेंस मैन्युफैक्चर्रर्स में होती है गिनती

एचएएल एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी है। इसका हेडक्वार्टर बैंगलोर में है। इसकी गिनती सबसे पुराने और सबसे बड़े एयरोस्पेस और डिफेंस मैन्युफैक्चर्स में होती है। भारतीय वायुसेना के दो-तिहाई वर्कहॉर्स विमान यहीं के हैं। एलसीए (हल्के लड़ाकू विमान) तेजस की मैन्युफैक्चरिंग एचएएल ने ही की है।

1940 में शुरू हुई थी कंपनी

23 दिसंबर 1940 को सेठ बालचंद हीराचंद ने अमेरिका के एक विशेषज्ञ विलियम इमल्स पावले की सहायता से हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड नाम की कंपनी शुरू की थी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1941 में सरकार ने कंपनी की एक तिहाई हिस्सेदारी खरीद ली थी। देश आजाद होने के बाद जनवरी 1951 में हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड को रक्षा मंत्रालय के प्रशासनि नियंत्रण में ले लिया गया था।

अक्टूबर 1964 में हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड का एयरोनॉटिक्स इंडिया लिमिटेड के साथ विलय कर दिया गया और इस तरह हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल बना। आपको बता दें कि देश के अलावा 23 देशों को भी एचएएल अपनी सर्विसेज देता है। इसमें एयरबस और बोइंग जैसी कंपनियों के नाम भी शामिल हैं। फिलहाल हेलीकॉप्टरों और विमान का निर्माण किया जा रहा है।

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