बरेली: कई वार्डों में निवर्तमान पार्षदों के टिकट काटने से बढ़ी भाजपा की चुनौती
कई तीन-तीन बार रह चुके हैं पार्षद, अब निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे
बरेली, अमृत विचार। साहूकारा वार्ड के राजेंद्र मिश्रा दो बार भाजपा को हराने के बाद भाजपा में शामिल हो गए। पिछले बोर्ड में बतौर पार्षद पांच साल काम किया लेकिन इस बार पार्टी ने उनका टिकट काटकर एक नेता के रिश्तेदार को दे दिया। राजेंद्र अब निर्दलीय मैदान में उतरे हैं। उनका कहना है कि वह नेता जी के रिश्तेदार को करारी पटखनी देने के साथ इस बार हैट्रिक भी लगाएंगे। इसी तरह कई और वार्डों में बागी भाजपा के लिए चुनौती बनते दिखाई दे रहे हैं।
पिछले चुनाव में राजेंद्र मिश्र ने निर्दलीय चुनाव लड़कर भाजपा प्रत्याशी को लगभग 600 वोटों से हराया था। चुनाव जीतने के बाद उन्हें भाजपा में शामिल कर लिया गया। मगर इस बार टिकट मांगा तो भाजपा ने एक नेता के रिश्तेदार को टिकट दे दिया। इसी तरह तीन बार निर्दलीय जीतने वाले वार्ड 41 के मुकेश मेहरोत्रा भी टिकट कटने के बाद बागी बनकर खड़े हैं।
उनका कहना है कि जो शख्स पिछले चुनाव में भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा, वही अब भाजपा के लिए लाड़ला हो गया है। उन्होंने पिछला चुनाव भाजपा से पिछला चुनाव जीता। पांच साल भाजपा की नीतियों का प्रसार-प्रचार किया। अब टिकट काट दिया।
महिला के लिए आरक्षित हुए वार्ड आठ के पार्षद रहे तिलक राज डुसेजा की बहू चेतना भाजपा के बाहर से लाए गए प्रत्याशी के सामने बागी बनकर उसे चुनौती दे रही है। जनता ने बाहरी प्रत्याशी के विरोध में घरों के बाहर, बाजार, बिजली के पोलों पर विरोध में पोस्टर भी लगा रखे हैं। चेतना का कहना है कि वार्ड के घर-घर में उनके ससुर ने पहचान बनाई है। अब उन्हीं लोगों का समर्थन उन्हें मिल रहा है।
वार्ड- 58 गुलाबनगर महिला के लिए आरक्षित हुआ है। यहां 2006 से 2012 तक गीता लाला पार्षद रहीं। उसके बाद से उनके पति विपुल लाला पार्षद हैं, लेकिन पार्टी ने उनका टिकट काट दिया। गीता लाला कहती हैं कि उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा भरा है। वह पार्टी की कार्यकर्ता हैं, भाजपा ने जिस महिला को टिकट दिया है, उसके नामांकन में त्रुटियां हैं जो रद हो सकता है। वह चाहती हैं कि भाजपा उन्हें समर्थन करे। ताकि यह सीट वह भाजपा के लिए जीत सकें। दावा किया कि उनका जीतना तय है, चाहे भाजपा से लड़ें या निर्दलीय।
वार्ड- 46 गांधीपुरम में भाजपा की पार्षद रहीं पूनम गंगवार ने टिकट कटने के बाद पति के कहने पर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर पर्चा दाखिल किया है। पति अशोक गंगवार का कहना है कि पार्टी ने टिकट क्यों काटा वह जाने। उन्हें यह निर्णय ठीक नहीं लगा तो पर्चा भर दिया है। क्षेत्र में काम कराए हैं। जनता उनके साथ है। जहां सड़के और नाला नहीं बना है, उसके लिए वह नहीं भाजपा जिम्मेदार है। वार्ड की जनता ने बैनर लगाए थे नाला नहीं तो वोट नहीं। तो अब विरोध करने वाले भाजपा को वोट न दें।
मेरा भी टिकट काट दिया
वार्ड-16 संजयनगर से भी भाजपा के अवनेश कुमार पार्षद थे जिनका टिकट काट दिया गया। मुख्यमंत्री से मिलते चेहरे-मोहरे वाले अवनेश कहते हैं कि पार्टी ने उनके चेहरे का भी ध्यान नहीं रखा और टिकट काट दिया। जिसे टिकट दिया है, उसे उन्होंने पिछली बार हराया था। अब वही पार्टी का लाड़ला हो गया है। उन्होंने क्षेत्र में काम कराया है। इसलिए जनता का समर्थन उन्हें ही मिलेगा। उन्होंने निर्दलीय के रूप में अपनी मां चहेती देवी को मैदान में उतारा है। इसी तरह वार्ड कुंवरपुर, शांतिविहार, मढ़ीनाथ से भी पार्षदों के टिकट काटकर निर्दलीय के तौर पर पर्चा भरा है।
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