बरेली : तालाबों से कब्जे हटे तो उजड़ जाएंगी शहर में बसी कई कॉलोनियां
राज्य सरकार के बुलडोजर चलाने के आदेश के बाद नगर निगम में अवैध कब्जों का चिह्नीकरण शुरू मगर अभियान चलाने पर पसोपेश
बरेली, अमृत विचार। जैसा कि राज्य सरकार की ओर से एलान किया गया है, अगर तालाबों पर किए गए कब्जों पर बुलडोजर चला तो शहर में तमाम कॉलोनियां उजड़ जाएंगी। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक शहर सीमा में मौजूद 41 में से 31 तालाब इन्हीं कॉलोनियों में दबे हुए हैं। इसके अलावा एक तालाब को मंदिर परिसर में खींच लिया गया है।
सार्वजनिक और सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने और अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राजस्व विभाग का एंटी भूमि माफिया अभियान वैसे तो योगी सरकार के पहली बार पदारूढ़ होने के बाद 2017 से ही चल रहा है, लेकिन तालाबों पर बनी कॉलोनियों के मकानों पर बुलडोजर चलाने का एलान करते हुए सभी नगर निगमों को इसका खाका तैयार करने के निर्देश जारी किया गया है। दरअसल, मुख्य सचिव की अध्यक्षता में चलने वाली राज्यस्तरीय एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स की हाल ही में हुई समीक्षा बैठक में पाया गया था कि नगर निकायों में सार्वजनिक भूमि पर किए गए कब्जों और अतिक्रमणकारियों की सूचना एंटी भू माफिया पोर्टल पर नहीं है। माना जा रहा है कि यह कदम हाल ही में समीक्षा बैठक में लिए गए निर्णय के तहत उठाया गया है।
बरेली में जिन तालाबों पर कब्जा हुआ, ऐसा नहीं है कि उनके खिलाफ शिकायतें न हुई हों लेकिन तत्कालीन अफसरों ने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया। यही वजह रही कि एक के बाद एक तालाब पाटे जाते रहे और उन पर कॉलोनियों का निर्माण होता रहा। अब इन कॉलोनियों में काफी आबादी भी बस चुकी है। दिक्कत यह है कि सरकारी कार्रवाई शुरू होने से पहले ही ज्यादातर मामले कोर्ट में पहुंच जाते हैं और फिर कार्रवाई थम जाती है।
कॉलोनाइजरों ने ही नहीं किए कब्जे, कहीं सड़क
बन गई तो कहीं स्वास्थ्य केंद्र और शौचालय
बरेली नगर निगम की सीमा में अलग-अलग गाटा नंबरों पर 41 तालाब रिकॉर्ड में दर्ज है। इनमें 31 तालाबों पर कई सालों पहले धीरे-धीरे कब्जे शुरू हुए और अब कॉलानियाें का निर्माण हो चुका है। हरुनगला में ग्रीन पार्क की दक्षिण दिशा में सड़क के पास बड़े तालाब का एक हिस्सा कब्जा लिया गया है। बिहारमान नगला में डेलापीर के पास और पीलीभीत बाईपास पर जिंगल बेल्स स्कूल के पास तालाब पाट दिया गया है। यहां तो पीडब्लूडी ने भी सड़क बना डाली है। नवादा जोगियान में गाटा नंबर 664 पर 0.190 हेक्टेयर का तालाब रिकॉर्ड में दर्ज है, इसमें से 0.014 हेक्टेयर पर कब्जा कर मंदिर की चहारदीवारी के अंदर कर लिया गया है। कुछ जगह तालाबों की जगह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक शौचालय और मंदिर भी बन गए हैं। ज्यादातर जगह मिश्रित आबादी है। इन सारे कब्जों को एंटी भू माफिया पोर्टल दर्ज करना और फिर बुलडोजर चलाना फिलहाल तो मुश्किल लग रहा है।
सूखी नदी पर बन गई कालोनी, अब सिंचाई विभाग और नगर निगम की एक-दूसरे पर टालमटोल
शहरी इलाके से गुजर रही नदियों पर भी अतिक्रमण हो गया लेकिन न सिंचाई विभाग ने ध्यान दिया, न नगर निगम ने। किला नदी और नकटिया नदी का कुछ हिस्सा डोहरा रोड पर है। सत्यप्रकाश पार्क की तरफ का क्षेत्र हो या कर्मचारीनगर में रामपुर रोड का हिस्सा, सभी जगह भारी अतिक्रमण है। रामपुर रोड पर कार शोरूम के पीछे का हिस्सा नदी का क्षेत्र है जिस पर अतिक्रमण हो चुका है।
सत्यप्रकाश पार्क की तरफ किला नदी की जमीन पर मकान बन गए हैं। सिंचाई विभाग बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता राजेंद्र कुमार के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में नदियों की भूमि पर अतिक्रमण न होने देने की जिम्मेदारी बाढ़ खंड शहरी क्षेत्र में नगर निगम की है। उधर, अपर नगर आयुक्त अजीत कुमार सिंह का कहना है कि नदी की जमीन को कब्जामुक्त रखने की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग की है।
कई तालाबों को कब्जामुक्त कराया है। महेशपुर अटरिया में गाटा नंबर 1080 पर तालाब पर हुए कब्जे को पिछले साल अगस्त में हटाया गया था। जोगीनवादा और सैदपुर हाकिंस में भी तालाब को मुक्त कराया। ग्रीन पार्क प्रकरण कोर्ट में है। डेलापीर तालाब के पास जमीन मुक्त कराई - अजीत कुमार सिंह, अपर नगर आयुक्त।
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