मेयर चुनाव : डॉक्टरों का कुछ पता नहीं... किसे एनेस्थीसिया देंगे, किसका करेंगे ऑपरेशन
भाजपा प्रत्याशी उमेश गौतम के साथ बैठक होने के बाद आज डॉ. तोमर भी करेंगे डॉक्टरों के साथ बैठक
अनुपम सिंह/बरेली, अमृत विचार। पहली बार डॉ. आईएस तोमर के मेयर निर्वाचित होने के बाद जिस तरह इस चुनाव में आईएमए की भूमिका चर्चा में आई थी, वह अब तक जोर-आजमाइश की वजह बनी हुई है। भाजपा प्रत्याशी उमेश गौतम की डॉक्टरों के साथ बैठक के बाद यह जोर-आजमाइश और तेज हो गई है। बृहस्पतिवार को सपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. तोमर की ओर से डॉक्टरों की बैठक बुलाई गई है। आईएमए से जुड़े डॉक्टरों में इस बीच निकाय चुनाव को लेकर खामोशी छाई हुई है। माना जा रहा है कि इस बार यह खामोशी अंत तक खिंचेगी।
वर्ष 2000 में भी डॉ. तोमर निर्दलीय चुनाव लड़े थे और जीतने के बाद उन्होंने इसका श्रेय डॉक्टरों के समर्थन को दिया था। 2012 के चुनाव में भी उन्होंने आईएमए के समर्थन से जीतने की बात दोहराई थी। बाकायदा आईएमए की बैठक में उन्हें दोबारा समर्थन देने का एलान किया गया था लेकिन इस बार आईएमए के समर्थन का मामला फंस गया है। शहर के कई बड़े डॉक्टर प्रत्यक्ष तौर पर भाजपा से जुड़े हुए हैं। मेयर चुनाव में डॉक्टरों के रुझान की अहमियत को भाजपा ने भी गंभीरता से लिया है। इसी कारण नामांकन पूरी होने के चौथे ही दिन भाजपा की ओर से सबसे पहले आईएमए हॉल में पार्टी प्रत्याशी उमेश गौतम की डॉक्टरों के साथ बैठक कराई गई। इस बैठक में उमेश गौतम के समर्थन का एलान भी कर दिया गया।
इसके बाद अब डॉ. तोमर की ओर से बृहस्पतिवार को डॉक्टरों की बैठक बुलाई गई है। डॉक्टरों का रुख कुछ हद तक इस बैठक के बाद साफ होने की उम्मीद है, हालांकि संभावना जताई जा रही है कि डॉक्टरों पर जोर-आजमाइश इस बार चुनाव के अंत तक जारी रहेगी। दोनों गुट के डॉक्टर अंदरखाने अपने प्रत्याशी के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश करते रहेंगे।
एक राजनीतिक रणनीतिकार कहते हैं कि शहर में डॉक्टरों की संख्या अच्छी-खासी है। आईएमए से ही चार सौ से ज्यादा डॉक्टर जुड़े हुए हैं। अपने पेशे की वजह से सभी डॉक्टर आम लोगों के करीबी संपर्क में रहते हैं, इसी कारण चुनाव में उनका रुझान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डॉ. तोमर को इसी का फायदा मिलता रहा है।
खुलकर एलान करने वाले आईएमए के डॉक्टरों में इस बार सन्नाटे का माहौल
मेयर पद के लिए पिछले कई चुनावों में खुलकर समर्थन का एलान करने वाले आईएमए में इस बार खामोशी छायी हुई है। बताया जा रहा है कि इस बार हालत यह है कि डॉक्टर आपस में भी इस चुनाव के बारे में ज्यादा खुलकर बातचीत नहीं कर रहे हैं। इसके पीछे कारण भावनाओं और राजनीति का द्वंद्व बताया जा रहा है। कुछ डॉक्टरों का यह भी कहना है कि आईएमए में अब तक चुनाव के मुद्दे पर तभी बैठक हुई है, जब कोई डॉक्टर चुनाव में खड़ा हुआ हो। इस बार पहली दफा किसी गैर डॉक्टर प्रत्याशी के लिए बैठक हुई है।
डॉक्टरों के बीच यह भी बहस का मुद्दा बना हुआ है। एक डॉक्टर ने नाम न छापने की बात कहते हुए बताया कि पहली बार ऐसा है कि डॉक्टरों को ही यह नहीं पता है कि कौन डॉक्टर किसके साथ है और किसके खिलाफ। इस कारण क्या समीकरण बन रहे हैं, यह समझना मुश्किल है। दिग्गज भी इस बार माहौल को नहीं भांप पा रहे हैं। एक अन्य डॉक्टर ने बताया कि मेयर चुनाव में इस बार डॉक्टर बंटे लग रहे हैं। कोई किधर भी जा सकता है। अंदरखाने चर्चाएं इसी तरह की हैं।
ये भी पढ़ें- बरेली : तालाबों से कब्जे हटे तो उजड़ जाएंगी शहर में बसी कई कॉलोनियां
