प्रयागराज : स्वामी विवेकानन्द ने स्वराज के जरिए की नए युग की शुरूआत 

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Published By Virendra Pandey
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प्रयागराज, अमृत विचार। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के लाइब्रेरी हॉल में आयोजित स्वामी विवेकानन्द विधि व्याख्यानमाला के अन्तर्गत संविधान में वर्णित प्रस्तावना में उल्लिखित शब्द ‘गणराज्य’ विषय पर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अजय भनोट ने बतौर मुख्य अतिथि अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि गणराज्य का पर्याय स्वराज है, जिसके माध्यम से हर हिन्दुस्तानी को शक्ति प्रदान की गयी है। इसी के माध्यम से हम अपने उत्तरदायित्वों का बखूबी निवर्हन करते हैं, साथ ही साथ इससे हमारी आधारभूत सुविधाओं का क्रियान्वयन सहित हमारी संस्कृति में विचारों का आदान प्रदान भी होता है। 

न्याय

न्यायमूर्ति अजय भनोट ने आगे कहा कि स्वामी विवेकानन्द स्वराज के माध्यम से ही एक तरह से नए युग की शुरूआत की है, जो ऐसे महापुरूषों के नाम से अविरल चलती रहेगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उनके द्वारा बताए गए मूल्यों के आधार पर ही संविधान की संरचना हुई है, जिसमें सभी को बराबर का अधिकार दिया गया है। किसी भी समुदाय के साथ भेदभाव नहीं किया गया है। एक-दूसरे के प्रति सामानान्तर भाव रखना हम लोगों का नैतिक कर्तव्य है। कार्यक्रम की अध्यक्षता हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने की। महासचिव नितिन शर्मा और विधि व्याख्यानमाला के आयोजक तथा संयुक्त सचिव (लाइब्रेरी) अजय सिंह ने मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति अजय भनोट का स्वागत किया। इस अवसर पर हाईकोर्ट बार के पदाधिकारियों सहित अधिवक्ता गण भी मौजूद रहे।

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