कानपुर: स्क्रीन एडिक्शन यानी बच्चों की सेहत से खिलवाड़, बढ़ सकती हैं मानसिक और शारीरिक परेशानियां
विशेष संवाददाता/कानपुर, अमृत विचार। बच्चों का ज्यादा से ज्यादा समय स्क्रीन (टीवी, मोबाइल, टैबलेट, लैपटॉप, कंप्यूटर) पर बिताने वाले बच्चे लती हो रहे हैं। स्क्रीन के बिना वह रह ही नहीं सकते। बच्चों की जिद पूरी करने के लिए उनके पैरेंट्स मोबाइल तक में विभिन्न गेम्स डाउनलोड करते हैं। यही नहीं छोटे-छोटे बच्चों को मोबाइल दे रखे हैं। इस लत का क्लीनिकल नाम स्क्रीन टाइम है।
इसके लती बच्चों का शारीरिक, बौद्धिक विकास अवरुद्ध हो जाता है और वे आभासी दुनिया में ही विचरण करते हैं। इसके नतीजे खतरनाक हैं। जिस उम्र में दिमाग सीखने के लिए सबसे ज्यादा तैयार संवेदनशील होता है उस उम्र में बच्चे स्क्रीन टाइम में ज्यादा समय बिताते हैं। इसके लिए माता-पिता ज्यादा दोषी हैं।
भारतीय बालरोग अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डा.राजतिलक बताते हैं कि इससे मानसिक और शारीरिक परेशानियां बढ़ सकती हैं। दो साल से कम उम्र वाले बच्चों को तो बिलकुल ही स्क्रीन के सामने नहीं लाना चाहिए। जबकि दो से पांच साल के बच्चों को ज्यादा से ज्यादा दो घंटे सक्रीन टाइम और उसमें भी एक घंटा एजूकेशनल स्क्रीम टाइम उचित है। ज्यादा समय बिताने से बच्चे की नींद, पढ़ाई और खाने की आदतों पर कुप्रभाव पड़ सकता है। वह कहते हैं कि फिजिकल एक्टीविटी प्रभावित नहीं होना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारतीय बालरोग अकादमी उम्र के हिसाब स्क्रीन टाइम का समय तय किया है।
-दो साल से कम उम्र के बच्चों को स्क्रीन टाइम बिलकुल नहीं दिया जाना चाहिए।
-दो से पांच साल तक के बच्चों को नियमित अंतराल में एक घंटा स्क्रीन पर दें।
-पांच से दस साल तक के बच्चों को दो घंटे स्क्रीन टाइम दिया जा सकता है।
-दो साल की उम्र तक ब्रेन कोशिकाएं 95 फीसदी बन चुकी होती हैं। सावधानी जरूरी।
-तलब, नियंत्रण, बाध्यता, सामंजस्य व परिणाम का प्रश्न हां में है तो इलाज जरूरी।
सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा वाजपेयी कहती हैं कि आप अपना स्क्रीन टाइम कम कर दें तो बच्चों का अपने आप कम हो जाएगा। आपकी ज्यादा व्यस्तता ही बच्चे को स्क्रीन टाइम का पार्टनर बना देती है। बच्चे को घुमाने ले जाएं किस्से कहानी आदि में मनोरंजन कराएं। आजकल सोसाइटी कल्चर है तो बच्चों की साझा देखभाल की जा सकती है। मोबाइल टीवी टैब यू ट्यूब किड्स के अकाउंट से लॉगइन करें।
स्क्रीन लॉक टाइम कंट्रोलर कंटेंट मॉनीटरिंग की सुविधाएं दी होती हैं। दस किड्स यूट्यूब चैनल के सब्सक्राइबर्स सबसे ज्यादा हैं। कोकोमेलन नर्सरी राइम्स (16 करोड़) चू चू टीवी नर्सरी राइम्स (6.49 करोड़) लू लू किड्स (5.38 करोड़) इन्फोमेबल हिंदी राइम्स (5.17 करोड़) जिंगल टून्स (3.31 करोड़) किड्स चैनल इंडिया (2.24 करोड़) किडीज टीवी हिंदी (1.96 करोड़) हैप्पी बचपन जुगनू किड्स जेपी टून्स (मिलाकर करीब तीन करोड़) सब्सक्राइबर्स हैं।
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