रामपुर : तीन लाख का कर्ज चुकाने को किडनी का सौदागर ढूंढ़ रहा सुंदरलाल...पढ़ें पूरी खबर
कर्ज उतारने को वर्ष 2022 में बेच दिया अपना घर, पुत्र वधु के गहने भी बेचे, पिता बोला- मैं नहीं चाहता कि मेरे मरने के बाद बेटे को कोई परेशान करे
कर्ज से पीड़ित सुंदर लाल सैनी।
आशुतोष शर्मा, अमृत विचार। कर्ज का बोझ क्या होता है, यह उस इंसान से पूछिए जिसने अपनी तीन बेटियों की शादी के लिए अपना सुख-चैन, घर और पुत्र वधु के गहने तक बेच दिए। इसके बाद भी जब कर्ज का बोझा नहीं उतरा तो उसने अपनी किडनी बेचने की ठानी। हम बात कर रहे हैं सिविल थाना क्षेत्र के गांव अजीतपुर निवासी 52 वर्षीय सुंदरलाल सैनी की। इन्होंने वर्ष 2009 में ब्याज पर कर्ज लेकर अपनी बड़ी बेटी की शादी की थी। यह कर्ज कुछ ही निपट पाया था कि वर्ष 2014 में बेटे की शादी करनी पड़ी, इसलिए और कर्ज लिया। इस तरह दिनों दिन कर्ज बढ़ता चला गया और यह कर्ज के बोझ में दबते चले गए। वर्ष 2021 में जब मझली बेटी जवान हुई तो उसकी शादी के लिए भी सुंदरलाल ने पैसा उधार लिया। इधर, बढ़ते कर्ज के सदमे से कोविड के दौरान सुंदरलाल की पत्नी नेमवती की भी मौत हो गई।
- 2009 में कर्ज लेकर की थी बड़ी बेटी की शादी
- 2021 में कर्ज के सदमे से पत्नी की भी चली गई जान
पत्नी की मौत के सदमे से उबर ही नहीं पाए थे कि सूदखोरों ने पैसा चुकाने के लिए दवाब बनाना शुरू कर दिया। दिन रात फोन आने लगे। सूदखोरों से अपना पीछा छुड़ाने के लिए सुरेंद्र ने वर्ष 2022 में अपना मकान बेच दिया। इतने पर भी जब बात नहीं बनी तो मजबूरन पुत्र वधु के जेवर बेचने पड़े। इसके बाद भी सूदखोरों ने पीछा नहीं छोड़ा। इधर, वर्ष 2022 में कर्ज लेकर छोटी बेटी की भी शादी करनी पड़ गई। धीरे-धीरे कर्ज की यही रकम लगभग तीन लाख हो गई। सुंदर लाल बताते हैं कि 'मैं नहीं चाहता कि मेरे मरने के बाद मेरे बेटे को कोई परेशान करे। इसलिए मैं आत्महत्या भी नहीं कर पा रहा। बस अपनी किडनी बेचकर सारा कर्ज चुकता करना चाहता हूं। दर-दर भटककर अपनी किडनी का खरीददार ढूंढ़ रहा हूं।'
15 सालों से फास्टफूड का लगा रहे ठेला
सुंदर लाल पिछले 15 वर्षों से अजीतपुर गांव में दयाल मोहन स्कूल के पास फास्ट फूड का ठेला लगाकर अपने परिवार का पेट पालते आ रहे हैं। धीरे-धीरे रकम जुटाकर इसी ठेले से कर्ज चुकाया है। दिनों दिन कर्ज चुकाते गए लेकिन ब्याज बढ़ता गया। धीरे-धीरे अब यह कर्ज तीन लाख हो चुका है। जिसे चुकाने के लिए अपनी किडनी का सौदागर ढूंढ़ रहे हैं।
आठ हजार के चुका दिए 28 हजार, फिर भी नहीं उतरा कर्ज
सुंदर लाल बताते हैं कि वर्ष 2022 में एक व्यक्ति से 10 फीसदी के ब्याज पर आठ हजार रुपये का कर्ज लिया था। अब तक 28 हजार रुपये दे चुके हैं, इसके बाद भी उसका कर्ज नहीं उतरा है। इसी कर्ज के चलते कई बार आत्महत्या करने का भी मन करता है।
दर-दर भटके, नहीं मिला कोई योजना का लाभ
सुंदर लाल का कहना है, उन्होंने सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए भरसक प्रयास किए, लेकिन यह नाकाफी साबित हुए। डीएम साहब से मिले लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। आज तक आवास की भी सुविधा नहीं मिल सकी। जो जमापूंजी जोड़ कर घर बनाया था उसे कर्ज के कारण बेचना पड़ गया।
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