बरेली: डेढ़ लाख निवेशकों को झटका, कंपनी संचालकों की संपत्ति नहीं हो सकेगी कुर्क
सेबी की ओर से कुर्क संपत्तियों के पंजीकरण, बिक्री, म्यूटेशन आदि को प्रभावित न करने को लेकर महानिदेशक का आदेश पहुंचा
बरेली, अमृत विचार। मेहनत की गाढ़ी कमाई दोगुने के चक्कर में गंवाने वाले पीड़ित निवेशकों ने जनवरी में जब डूबी रकम का हिसाब किताब लगाकर अपना विवरण भर फार्म जमा किए तब उनके चेहरे पर रकम मिलने की उम्मीद थी। मार्च तक बरेली समेत अन्य जिलों में करीब डेढ़ लाख निवेशकों ने फार्म जमा किए।
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कलेक्ट्रेट, तहसीलों और ब्लॉकों में लंबी लाइनें लगने पर लोग सुबह ही फार्म जमा करने आ जाते थे, लेकिन मार्च से सितंबर तक छह माह हो गए, मगर रकम निवेशकों को लौटाने के संबंध में महानिदेशक संस्थागत वित्त, बीमा एवं वाह्य सहायतित परियोजना की ओर से कोई निर्देश जिलों को नहीं दिए गए। अब महानिदेशक शिव सिंह यादव ने सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड) की चिट्ठी के हवाले से बरेली समेत सभी जिलों के डीएम को जो पत्र भेजा है, उससे डूबी रकम मिलने की उम्मीद पाले निवेशकों को जोरदार झटका लगा है।
अब पीड़ित लोगों को रकम मिलेगी भी या नहीं, इसको लेकर भी आस धुंधली नजर आ रही है। सेबी के हवाले से महानिदेशक ने कहा है कि समूह संस्थाओं, कंपनियों और डिफाल्टर/बकायेदारों की संपत्ति कुर्क और नीलाम करने का अधिकारी सेबी को है। इसलिए सेबी की ओर से कुर्क संपत्तियों के पंजीकरण, बिक्री, म्यूटेशन आदि को प्रभावित न किया जाए।
ऐसी स्थिति में दोगुनी रकम देने के लालच में करोड़ों रुपये हड़पकर भागी चिट्स फंड कंपनियों और संचालकों की संपत्ति को अब जिला प्रशासन कुर्क या नीलाम नहीं कर सकेगा। जब कंपनियों के संचालकों की संपत्ति नीलाम या कुर्क नहीं होगी तब तब निवेशकों के रुपये मिलना भी मुश्किल है।
उधर, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व संतोष बहादुर सिंह ने महानिदेशक संस्थागत वित्त, बीमा एवं वाह्य सहायतित परियोजना की चिट्ठी मिलने के बाद 25 सितंबर को जिले के सभी उप जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर निर्देश दिए हैं कि सेबी ने राजस्व कार्यालयों, जिला मजिस्ट्रेटों, उप रजिस्ट्रार आदि के साथ संपत्तियों की सूची साझा की है। सूची में चिह्नित संपत्तियों के पंजीकरण, बिक्री, नाम परिवर्तन आदि से संबंधित कोई कार्यवाही न करने की बात कही है।
ब्लॉकों में प्रत्येक निवेशक की रकम का हिसाब जोड़ सूची हो रही तैयार
जिले के 15 ब्लॉकों में निवेशकों ने फार्म जमा किए थे। एक-एक पीड़ित ने कई फार्म भरे थे। अब ब्लॉकों में प्रत्येक निवेशक की रकम का हिसाब लगाकर उसका विवरण तैयार किया जा रहा है, ताकि यह मालूम हो सके कि जिलेभर से चिट्स फंड कंपनियों ने दोगुनी रकम के नाम पर कितने हजार कराेड़ का चूना लगाया था। सही रकम की स्थिति मालूम होने पर जिले से डेटा महानिदेशक संस्थागत वित्त, बीमा एवं वाह्य सहायतित परियोजना इलाहाबाद भेजा जाएगा। हजारों निवेशकों का डेटा ऑनलाइन भी फीड किया जा चुका है।
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