मुरादाबाद : दृढ़ संकल्पित हों बेटियां तो कदमों में होगी सफलता

जिला अस्पताल की प्रमुख अधीक्षक डॉ. संगीता गुप्ता मानती हैं कि नारी सशक्त तो समाज का होगा उत्थान

मुरादाबाद : दृढ़ संकल्पित हों बेटियां तो कदमों में होगी सफलता

मुरादाबाद, अमृत विचार। जिला अस्पताल की प्रमुख अधीक्षक व अपर निदेशक डॉ. संगीता गुप्ता मानती हैं कि महिलाएं मानसिक दृढ़ता से उच्च शिक्षित होकर सफलता के लिए कदम बढ़ाएं तो कोई भी परिस्थिति हो उनके रास्ते की बाधा नहीं बन सकती है। बशर्ते वह खुद को अबला या कमजोर न समझें। अभिभावकों को चाहिए कि वह अपनी बेटियों को आगे बढ़ाने के साथ ही दूसरों के घर से आईं बेटियों को भी सम्मान और प्यार देकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद करें। जिससे वह किसी के सामने मजबूर न बनें।

देवबंद, सहारनपुर में जन्मी डॉ. संगीता गुप्ता की प्रारंभिक शिक्षा देवबंद में हुई। यहां से इंटर तक पढ़ाई करने के बाद उन्होंने मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज प्रयागराज से 1986 में एमबीबीएस और 1990 में डीजीओ की डिग्री हासिल की। जनवरी 1991 में प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ में नौकरी ज्वाइन की।

मथुरा जिले में मिली पहली तैनाती
डॉ. संगीता को सरकारी सेवा में आने के बाद पहली तैनाती सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मांट मथुरा जिले में मिली। इसके बाद अलीगढ़ और फिर जिला अस्पताल मेरठ में 1994 से 2006 तक जिला महिला अस्पताल में स्त्री एवं प्रसूति रोग के रूप में सेवा देती रहीं। मुजफ्फरनगर में 2006 से 12 तक नौकरी करने के बाद एक बार फिर मेरठ में 2012 से 2017 तक तैनात रहीं। उन्होंने अपर निदेशक कार्यालय मेरठ में संयुक्त निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य चार साल और एक साल अपर निदेशक का कार्यभार संभाला। स्वास्थ्य महानिदेशालय लखनऊ में अपर निदेशक संचारी रोग की जिम्मेदारी निभाने के बाद इस साल 4 जुलाई को मुरादाबाद में जिला पुरुष अस्पताल की प्रमुख अधीक्षक बनीं।

पहले से अधिक सशक्त हैं महिलाएं
डॉ. संगीता बताती हैं कि आज के दौर में महिलाओं को अधिक शिक्षा व सुरक्षा मिल रही है। पहले बालिका शिक्षा को कोई अहमियत नहीं दी जाती थी। लेकिन, अब सरकार बेटी पढ़ाओ-बचाओ के लिए प्रतिबद्ध है तो बदली परिस्थितियों में बेटियों को उच्च शिक्षित कर उनको आर्थिक रूप से सबल और समर्थ बनाने की सोच माता-पिता की है। वह कहती हैं कि इसका प्रतिफल है कि विपरीत परिस्थितियां भी बेटियों की सफलता में बेड़ियां नहीं बन रही हैं। उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति से हर क्षेत्र में सफलता हासिल हो रही है।

रिश्ते के चाचा से मिली प्रेरणा
शिक्षित परिवार में जन्मी डॉ. संगीता की रुचि उच्च शिक्षा में बचपन से ही रही। चिकित्सक बनने की प्रेरणा उन्हें अपने रिश्ते के एक चाचा जो सर्जन थे उनसे मिली। बचपन में ही उन्होंने डाक्टर बनने की ठान ली। अपनी मेहनत और परिवार के सहयोग से उन्होंने सरकारी चिकित्सक बनकर अपने संकल्प को पूरा किया। 

चिकित्साधिकारी पति डॉ. एनके गुप्ता का मिला पूरा साथ और  समर्थन
डॉ. संगीता गुप्ता की शादी 1988 में डॉ. एनके गुप्ता से हुई। कई जिलों में तैनाती के बाद वह स्वयं मुरादाबाद के जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक व अपर निदेशक रहे। यहां से प्रोन्नत होने के बाद वह निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य बने। इस साल वह सेवानिवृत्त हुए। डॉ. संगीता को अपने चिकित्साधिकारी पति से हर कदम पर साथ और समर्थन मिला। 

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