बरेली: बांस की कमाल कारीगरी, पीढ़ियों से संभाले हैं घर चलाने के लिए हुनर

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Published By Ashpreet
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बरेली, अमृत विचार। बरेली को बांस बरेली के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन जनपद में बांस का कारोबार कम होने के बाद अब सिर्फ उसकी कारीगरी ही बची है। कभी बरेली में बांस का बहुत बड़ा कारोबार था, लेकिन आज कारोबार गुम सा हो गया है। वहीं पुरानी पहचान के आधार पर बरेली के बांस की कारीगरी आज भी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। आज भी शहर में कई परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी बांस की कारीगरी कर रहे हैं। बांस और उसकी कारीगरी पर पेश है अमृत विचार की रिपोर्ट...

शहर में बांस के कारोबार वाले इलाके
शहर के सिकलापुर, पुराना शहर, जोगी नवादा और बांस मंडी में बांस की कई दुकानें हैं। जहां आपको बांस का सामान आसानी से मिल जाएगा। वहीं अगर हम बात करें बांस की वस्तुओं के कारीगरों की, तो इन एरिया में बांस के तमाम कारीगर ऐसे भी हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी अपने इसी काम को तवज्जो दे रहे हैं। जिनके दम पर आज भी बरेली में बांस की कारीगरी देश-विदेश में शहर का नाम रोशन कर रही है।

कैसे बनती हैं बांस की वस्तुएं 
दरअसल, बांस की कारीगरी में सबसे ज्यादा हाथ से काम होता है। क्योंकि इसकी कारीगरी में मशीन का इस्तेमाल नाम मात्र ही होता है। बांस से कोई वस्तु बनाने के लिए कारीगर सबसे पहले बड़े बांस को वस्तु के अनुसार काट कर छोटा करते हैं। इसके बाद अगर कोई बांस टेड़ा होता है तो उसे पानी में उबालकर सीधा किया जाता है।

उसके बाद आकार देकर जोड़ दिया जाता है। बताते चलें कि बांस को जोड़ने के लिए बांस की बनी कील या लोहे के तार का उपयोग किया जाता है। जिसके बाद वह वस्तु बनकर तैयार हो जाती है। जिस पर रंग और पॉलिश करने के बाद सुखाकर बाजार में बेचा जाता है। 

आसान नहीं बांस की कारीगरी
अब हम बात करते हैं वस्तु बनाने की क्षमता की, तो एक कारीगर दिनभर में दो से तीन हजार रुपये का सामान आराम से बना लेता है। लेकिन बांस की वस्तुएं बनाने में कारीगरों को कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। क्योंकि बांस के धागे जैसे रेशे कारीगरों की त्वचा में घुस जाते हैं, जिसके बाद कारीगरों को काफी दिक्कतें होती हैं। इसके साथ ही कारीगर चाकू या आरी से बांस छीलते वक्त जख्मी भी हो जाते हैं।

बांस की कारीगरी में जरूरी उपकरण
बांस की कारीगरी में अगर उपकरणों की बात करें, तो बांस के सामान बनाने के लिए कई तरह की उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। जिनसे बांस की वस्तुओं को आसानी और जल्दी बनाने के साथ सुंदर बनाया जा सके। जिससे बांस से बनी चीजें तैयार हो सकें तो उसके लिए आरी, चाकू व ड्रिल मशीन आदि का उपयोग किया जाता है।

बांस से ये आइटम्स बनाते हैं कारीगर 
बाजार में बांस से बने सोफा, झूला, चेयर-टेबल, बेड, कॉर्नर अलमारी, टेबल लैंप, रैक, सीढ़ी, टोकरी, खिलौने, जाल समेत तमाम साज-सज्जा की अन्य आकर्षक वस्तुएं उपलब्ध हैं। जिन्हें कारीगर अपने हाथों से बनाते हैं।  

बांस के बने प्रसिद्ध आइटम्स
बरेली के कारीगर बांस से टेबल, सोफा, बेड, कॉर्नर अलमारी, टेबल लैंप, टोकरी, हैंगिंग टोकरी समेत झूला आज भी बनाते हैं। बांस कारीगरों के मुताबिक इन वस्तुओं की कीमत 500 से 25000 रुपये तक है। बताते चलें कि बरेली के बांस की कारीगरी देश-विदेश में प्रसिद्ध हैं। लेकिन अब बरेली में सिर्फ कारीगरी ही बची है। 

क्या कहता हैं बांस कारीगर ?
बांस कारीगर बताते हैं कि वह रोजाना 4-5 साजो-सज्जा की वस्तुएं बना लेते हैं। जिससे उनकी रोज की कमाई 600-700 रुपए हो जाती है। इसी से उनके परिवार का खर्च चलता है। इस काम को वह पीढ़ियों से करते चले आ रहे हैं।

दुनिया में मौजूद पर्यटक स्थलों पर भारत समेत अन्य देशों के लोग घूमने के लिए जाते रहते हैं. लेकिन एक छोटा सा देश ऐसा है जहां जाना भारत के पर्यटकों के लिए खासा महंगा साबित होता है. जी हां यहां पर पहुंचने वाले पर्यटकों से लैंड करते ही टैक्स (Tax) के रूप में तकरीबन एक लाख रुपये वसूल लिया जाता है. इस देश का नाम है अल साल्वाडोर (El Salvador) और यहां न केवल भारतीय बल्कि करीब 50 से ज्यादा अफ्रीकी और एशियाई देशों के पासपोर्ट पर ये टैक्स लगाया जाता है।

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भारत समेत 50 पासपोर्ट पर टैक्स
फोंसेका की खाड़ी पर स्थित अल सल्वाडोर (El Salvador) में कई ऐसे पर्यटक स्थल मौजूद हैं, जहां बड़ी तादाद में दुनिया भर से पर्यटक पहुंचते हैं. अक्टूबर की शुरुआत से ही इस देश ने नई टैक्स वसूल शुरू कर दी है, जो यहां आ रहे पर्यटकों से वसूली जाएगी. दरअसल, अल सल्वाडोर बंदरगाह प्राधिकरण की वेबसाइट पर शेयर की गई जानकारी के मुताबिक, भारत समेत 57 अफ्रीकी-एशियाई देशों के पासपोर्ट पर यहां आने वाले लोगों को 1000 डॉलर या करीब 83,000 रुपये से ज्यादा का शुल्क देना होगा. 

अनिवार्य शुल्क के रूप में करना होगा पेमेंट
इन 50 देशों के पासपोर्ट पर अल सल्वाडोर में एंट्री लेने वाले लोगों से शुल्क पर वैट भी वसूले जाने का प्रावधान है, जिससे ये रकम और भी ज्यादा हो जाती है. रिपोर्ट के मुताबिक, VAT के साथ यात्रियों को 1130 डॉलर का पेमेंट करना होता है, जो कि इंडियन करेंसी में 94,000 रुपये से भी ज्यादा हो जाती है. अक्टूबर 2023 से लागू देश की सरकार के इस फैसले के बारे में तमाम एयरलाइंस कंपनियों ने यात्रियों को इस अनिवार्य शुल्क के बारे में सूचित करना भी शुरू कर दिया है. 

पर्यटकों से वसूली रकम का यहां इस्तेमाल
El Salvador में ये नया शुल्क 23 अक्टूबर से प्रभावी हो गया है. इसके पीछे का कारणों की बात करें तो रिपोर्ट्स के मुताबिक, अफ्रीका और अन्य दूसरे देसों से कई प्रवासी मध्य अमेरिका के रास्ते ही अमेरिका पहुंचते हैं. प्राधिकरण के बयान के मुताबिक, इन पर्यटकों से टैक्स के रूप में वसूली गई इस राशि का इस्तेमाल देश के मुख्य अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को बेहतर बनाने के लिए किया जाएगा.

इस मुद्दे को लेकर गंभीर राष्ट्रपति
अल साल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले ने बीते सप्ताह देश में अनियमित माइग्रेशन पर चर्चा करने के लिए पश्चिमी गोलार्ध मामलों के लिए अमेरिकी सहायक सचिव ब्रायन निकोल्स से मुलाकात की थी और इस संबंध में गहन चर्चा की गई थी. सितंबर में समाप्त फाइनेंशियल ईयर में अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा गश्ती दल को देश भर में रिकॉर्ड 3.2 मिलियन प्रवासियों का सामना करना पड़ा.

क्रिप्टोकरेंसी से खरीदारी करते हैं यहां के लोग
अल सल्वाडोर न केवल पर्यटक स्थलों के लिए मशहूर है, बल्कि इस देश में दुनिया का पहला एक गांव ऐसा भी है, जहां रहने वाले लोग क्रिप्टोकरेंसी से राशन-सब्जी खरीदते हैं. और अपने बिल भरते हैं।

देश की संसद की ओर से क्रिप्टोकरेंसी को वैधानिक मुद्रा का दर्जा दिया गया है. इसके बाद से ही अल जोंटे गांव में रोजमर्रा के सामान खरीदने के लिए भी क्रिप्टोकरेंसी का ही इस्तेमाल करते हैं. इसके साथ ही दुनिया का एकमात्र ऐसा देश अल सल्वाडोर ही है, जहां First Bitcoin City बनाने की तैयारी की जा रही है. राष्ट्रपति नायब बुकेले का कहना है कि मध्य अमेरिकी देश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए क्रिप्टो मुद्रा का उपयोग करने के लिए अपनी शर्त को दोगुना कर दिया।

 

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