रायबरेली: सिर पर सेहरा बांधकर बारात लेकर निकलने वाला था दूल्हा, लेकिन हुआ कुछ ऐसा कि मातम में बदल गई खुशियां
सतांव/रायबरेली,अमृत विचार। सिर पर सेहरा बांधकर दूल्हा बारात लेकर निकलने जा रहा था। घर में महिलाएं मंगल गीत गा रही थी। दरवाजे पर ढोल नगाड़े की धुन पर लोग थिरक रहे थे कि अचानक कुछ ऐसा हुआ कि चारों अफरा तफरी मच गई। उसके बाद सारी खुशियां मातम में बदल गई। हर तरफ चीख पुकार मच गई।
मामला गुरबक्स गंज थाना क्षेत्र के पहाड़पुर मजरे ओनई पहाड़पुर गांव की है। गांव निवासी अंजनी कुमार यादव पुत्र स्व, रामसुन्दर यादव की मंगलवार की शाम बारात जानी थी। दूल्हे अंजनी के सिर से पिता का साया चार वर्ष पूर्व ही एक दुर्घटना में उठ चुका था। पिता के स्थान पर बड़े चाचा राम सरोज यादव (सेवा निवृत्त शिक्षक) ही सारे दायित्वों का निर्वहन कर रहे थे।

परिवारीजनों के साथ नाते रिश्तेदार सभी शाम को बारात ले जाने की तैयारी कर रहे थे। घर में खुशियां बिखरी हुई थी। परिवार और रिश्तेदार बारात जाने की तैयारी कर रहे थे। महिलाएं मंगलगीत गा रही थी। इसी बीच अचानक चाचा राम सरोज के सीने में भयानक दर्द हुआ, सब लोग समझ चुके थे कि यह हार्टअटैक का दर्द है।
आनन-फानन परिवारीजन उनको इलाज के लिए रायबरेली के एक प्राईवेट अस्पताल लेकर पहुंचे। जहाँ हालत गम्भीर देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हे अपोलो हॉस्पिटल लखनऊ रेफर कर दिया। लखनऊ पहुंचने से पहले ही राम सरोज यादव की सांसें थम गई।
उनकी मौत की सूचना मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। शादी की खुशियाँ मातम में तब्दील हो गईं। मंगल गीतों की जगह हर तरफ करुण क्रन्दन गूंजने लगा। बुजुर्ग ग्रामीणों ने परिवारजनों को समझाया बुझाया कि होनी को कौन टाल सकता है।
लड़की वालों ने सारी तैयारियाँ कर रखी है, इसलिए रश्म तो निभानी ही पड़ेगी। राम सरोज यादव के शव को घर ना लाकर रास्ते में ही रोंक दिया गया और महज चन्द लोगों के साथ शादी की रश्म निभानें के लिए बारात निकाली गई। राम सरोज के शव का अन्तिम संस्कार बुधवार को डलमऊ गंगा घाट पर किया जायेगा।
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