कासगंज: पशुओं के लिए घातक बना मौसम, बढ़ रहा बीमारियां का खतरा... इन तरीकों से रखें ख्याल

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Published By Vikas Babu
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कासगंज, अमृत विचार: यह मौसम पशुओं के लिए घातक बन रहा है। सर्दी के मौसम में दुग्ध उत्पादन भी घटने लगा है। यदि पशुपालकों ने गंभीरता से ध्यान नहीं दिया तो पशुओं की सेहत तेजी से बिगड़ सकती है। इस बीच पशुपालन वैज्ञानिकों ने पशुपालकों को पशुओं की सुरक्षा के टिप्स दिए हैं। उनके आवास प्रबंधन और आहार पर ध्यान देने की सलाह दी है। 

सर्दी के मौसम में शीत लहर का असर केवल मानव स्वास्थ्य पर ही नहीं वरन फसलों और पशु पक्षियों के जीवन पर भी पड़ रहा है। पशु वैज्ञानिक ऐसे मौसम में पशुपालकों को सर्दी से बचाव की सलाह दे रहे हैं।

कृषि विज्ञान केन्द्र, मोहनपुरा, कासगंज के पशुपालन वैज्ञानिक डा. बृज विकाश सिंह ने बताया कि यदि सर्दी के मौसम में पशुओं की देखभाल वैज्ञानिक विधि से करे तो पशुओं को न सिर्फ ठंड से बचाया जा सकता है बल्कि उनके उत्पादन में भी वृद्धि की जा सकती है। ठंड के कारण पशुओं के दुग्ध उत्पादन में कमी आने लगती है इसलिए उनकी देखभाल करना अत्यंत आवश्यक है।

सुझाया बेहतर आवास प्रबंधन
सर्वप्रथम आवास प्रबंधन पर उन्होंने बताया कि पशुपालक पशु आवास को साफ एवं स्वच्छ रखें साथ ही पशु बाड़े को सूखा रखें। सांय काल में पशु बाड़े में बिछावन के रूप में सूखा भूसा, बुरादा या पुआल की मोटी परत बिछाना चाहिए जिससे पशुओं का जमीन से लगने वाली ठंड से बचाव होगा। पशु बाड़े की खिड़की एवं दरवाजों को टाट या जूट के बोरे से बंद कर दें जिससे पशु बाड़े के अंदर शीतलहर के प्रकोप की संभावना न्यून हो जायेगी। 

यदि पशु बाड़े की छत टीन या सीमेंट की चादर से बनी है तो उस पर फूंस या सूखी ज्वार की करब बिछा दें। पशुओं के ऊपर सांय काल से लेकर के सुबह तक जूट के बोरे से बनाई हुई झूल पहनाए। जरूरत हो तो पशुशाला में बल्ब का उपयोग करें जिससे वहां के तापमान को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सके।

पीने को दें सिर्फ ताजा एवं स्वच्छ जल
दिन में तीन से चार बार पशुओं को साफ स्वच्छ और ताजा जल का सेवन कराना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि अधिकतर पशुपालक पशुओं को तालाब, नदी या नाले का पानी पिला देते हैं, ऐसा कदापि नहीं करना चाहिए। पशुओं को सिर्फ ताजा एवं स्वच्छ जल ही पिलाना सर्वोत्तम है अन्यथा इसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है।

बताए कुछ कारगर देशी नुस्खे
पशुपालन वैज्ञानिक डॉ बृज विकास सिंह ने इस सर्दी के प्रकोप से पशुओं को बचाने के लिए देशी खुराक सुझाई है। उन्होंने बताया कि वयस्क पशुओं को सांय काल में 50 ग्राम गुड़ तथा 25 ग्राम अजवाइन अवश्य दें। शिशु पशुओं के लिए गुड़ और अजवाइन की आधी मात्रा खिलाएं। इसके अतिरिक्त पशु आहार में 50 ग्राम खनिज मिश्रण तथा 25 ग्राम आयोडीन नमक का समावेश करें। 

पशु को पेट के कीड़े की दवा नहीं खिलाई है तो पशु चिकित्सक की सलाह से अंतः परजीवी नाशक दवा का सेवन अवश्य कराएं। दिन में धूप निकलने पर ही पशु को बाहर निकालें तथा पशु शरीर पर खरहरा करने के बाद सरसों के तेल में अजवाइन और कपूर मिलाकर पशु के शरीर पर लगाकर मालिश करें। अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र मोहनपुरा कासगंज से किसी भी कार्यदिवस में संपर्क करें।

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