पीलीभीत: पीटीआर के इतिहास में पहली बार बाघिन पिजड़े में हुई कैद, पहले 14 बाघों को ट्रैंक्यूलाइज कर किया गया था रेस्क्यू

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Published By Vikas Babu
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पीलीभीत, अमृत विचार: जिन बाघों की बदौलत पीलीभीत टाइगर रिजर्व ने ग्लोबल अवार्ड जीतकर अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहचान बनाई, आज उन्हीं बाघों को जंगलों में इंसानी दखलंदाजी के चलते के अपने आशियाने छोड़कर रिहायशी इलाकों की ओर रुख करना पड़ रहा है। 

पीटीआर के आंकड़ों के मुताबिक टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद अब तक 14 बाघों को रेस्क्यू किया जा चुका है। रविवार को एक और बाघिन के रेस्क्यू किए जाने के बाद यह संख्या बढ़कर 15 हो गई है। खास बात यह है कि पीटीआर घोषित होने के बाद जिन 14 बाघों को रेस्क्यू किया गया, इन सभी को ट्रैंक्यूलाइज कर रेस्क्यू किया गया था। पीटीआर के इतिहास में यह पहली बाघिन है जिसे बिना ट्रैंक्यूलाइज कर पिंजड़े की मदद से पकड़ा गया है।

2014 से अब तक रेस्क्यू किए गए बाघ
- 02 मार्च 2014-पूरनपुर में गढ़वाखेड़ा पुल से।
- 23 नवंबर 2016- महोफ रेंज के पास गांव मल्लपुर से।
- 11 फरवरी 2017- माला रेंज के पास गांव सुखदासपुर से।
- 05 फरवरी 2018- माला रेंज के समीप गांव विधिपुर से।
- 05 मार्च 2018- बराही रेंज के पास गांव चांदूपुर से।
- 11 मई 2019- पीलीभीत रेंज के पास गांव खजुरिया पचपेड़ा से।
- 03 अप्रैल 2020- माला रेंज के बाहर माधोटांडा रोड से।
- 09 जून 2020- माला रेंज की वन सीमा से बाहर।
- 23 जनवरी 2021- पूरनपुर में गांव ककरौआ से।
- 13 मार्च 2021- सदर तहसील के गांव हरचुईया से।
- 08 दिसंबर 2022- पूरनपुर के उदयकरनपुर में खारजा नहर के समीप से।
- 12 मार्च 2023- गांव केशोपुर से।
- 17 अक्टूबर 2023- कलीनगर तहसील के गांव जमुनियां से।
- 26 दिसंबर 2023- कलीनगर तहसील के गांव अटकोना।
- 21 जनवरी 2024-नगर पंचायत पकड़िया नौगवा के समीप से।

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