प्रयागराज: संगम में बैनर "सतुआ बाबा" लिखने पर बवाल, तोड़फोड़ का आरोप

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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प्रयागराज, अमृत विचार। संगम में कल्पवास करने आये सतुआ बाबा के दो शिष्यों में बवाल हो गया। एक शिष्य ने दूसरे शिष्य पर शिविर में घुसकर मारपीट, बैनर फाड़ने और लूट पाट करने का आरोप लगाते हुए झूंसी थाने में तहरीर दी है। भुक्तभोगी संत शिष्य ने पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगाई है। 

बतादेंकि जमुनादास के दो शिष्यों में बैनर पर सतुआ बाबा लिखने को लेकर विवाद हो गया। आरोप है कि संतोष दास ने शरीर छोड़ चुके  ओंकार दास के शिष्य जयराम दास सतुआ बाबा के शिविर सोमवार की रात अपने कुछ साथियों के साथ पहुंचकर गेट पर लगे बैनर को फाड़ दिया। 

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वहां मौजूद पुजारियों और संतो से मारपीट की। इतना ही नहीं खाक चौक में बैरागी समिति के लोगों से भी मारपीट की है। जिस मामले में भारी संख्या में संतो ने झूंसी थाने पहुंचकर संतोष दास के खिलाफ तहरीर देते हुए जान माल की सुरक्षा का हवाला देते गुहार लगाई है। 

एक ही परिवार के दो शिष्यों में विवाद

जयराम दास के उत्तराधिकारी बृज मोहन दास उर्फ़ बंशी महराज कहना है कि जमुना दास जी शरीर छोड़ चुके है। उनके दो शिष्य संतोष दास और ओंकार दास है। ओंकार दास मिर्जापुर आश्रम में रहते थे। जबकि संतोष दास बनारस में आश्रम बनाया हुआ है। जमुना दास के देहांत के बाद बनारस में संतोष दास ने आश्रम की जिम्मेदारी ली। जबकि ओंकार दास ने मिर्जापुर और वृंदावन में जिम्मेदारी ली।

वहीं ओंकार दास की मौत के बाद वहां के शिष्य जयराम दास सतुआ ने जिम्मेदारी संभाल लिया। जयराम दास के उत्तराधिकारी बृजमोहन दास बंशी महराज ने बताया कि शुरु से लेकर आज तक सिर्फ नाम के आगे सतुआ बाबा लिखने को लेकर विवाद चल फ है। हमारे पिता का नाम गुरु के पिता का नाम ओंकार दास सतुआ बाबा था इसलिए नाम के आगे सतुआ बाबा लिखा जा रहा है।

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