Kanpur: पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजे गए; कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर
कानपुर, विशेष संवाददाता। भाजपा के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजे जाने की घोषणा से कानपुर में खुशी की लहर दौड़ गयी। वह कार्यकर्ताओं के बीच काफी लोकप्रिय थे। उनका जब तब शहर आना होता था। बात 2007 के विधानसभा चुनाव की है। पार्टी ने आर्यनगर विधानसभा क्षेत्र से सिंधी समाज के युवा नेता हरीश मतरेजा को टिकट दे दिया।

हालांकि वह सपा के इरफान सोलंकी से हार गए थे पर उनकी प्रत्याशिता के पीछे आडवाणी का योगदान होने पर कयास लगाने लगे। अप्रैल माह में वह कानपुर आए और एक अलीशान होटल में ठहरे। करीब साढ़े दस बजे के अल्ले-पल्ले आर्यनगर से भाजपा प्रत्याशी हरीश मतरेजा उनसे मिलने पहुंचे। बकौल मतरेजा जब उन्हें पता चला कि पार्टी ने सिंधी समाज के युवक को मैदान में उतारा तो आडवाणी जी ने खुशी व्यक्त की। और हरीश से जी-खोलकर बातें की। इस वार्ता में दो बार के पार्षद रहे सौरभ देव भी मौजूद थे।

हरीश कहते हैं कि उन्हें नहीं पता था कि उन्हीं के समाज के नेता को उतारा गया। कानपुर सिंधी समाज की संख्या भी इतनी नहीं है कि कोई पुख्ता दावा पेश कर सके। आडवाणी जी को लगा कि सिंधी समाज के यह प्रत्याशी पोटेंशियल होगा तभी तो टिकट दिया गया। उननें हरीश से उनकी राजनीतिक गतिविधियों की बाबत पूछा और किन पदों पर रहे यह भी जानां। यही नहीं मतरेजा बताते हैं कि पारिवारिक जानकारी भी ली।
हरीश मतरेजा ने उन्हें जब बताया कि वह इमरजेंसी में कानपुर जेल में कई दिनों तक रहे तो आडवाणी इस खुश हुए और पार्टी को बढ़ाने के लिए समर्पण भाव से काम करने को कहा। एक संस्मरण का जिक्र करते हुए मतरेजा बताते हैं कि ट्रेन से वाराणसी जा रहे आडवाणी जी से प्रेस रिपोर्टरों की बातचीत कराने के लिए वह ट्रेन की खिड़की का शीशा पीटने लगे थे। जब उन्हें डांट पड़ी तो बहुत ग्लानि हुई। सच बताने पर वह ट्रेन के गेट पर आकर बातचीत करने लगे।
भाजपा के पूर्व नगर अध्यक्ष गोपाल अवस्थी कहते हैं कि भाजपा को केंद्रीय राजनीति में स्थापित करने में लालकृष्ण आडवाणी का योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता। मुंबई की एक रैली में उन्होंने अटलजी का नाम प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में घोषित करके सबको चौंका दिया था। जबकि उन्हीं के नाम का कयास लगाया जा रहा था।
आडवाणी की धोती और कानपुर
यह किस्सा आईआईटी कानपुर का है। तब लालकृष्ण आडवाणी उप प्रधानमंत्री हुआ करते थे। गेस्ट हाउस से निकलने में उन्हें समय लग रहा था। तभी गेस्ट हाउस से खबर छनकर बाहर आई कि कपड़े पहने में समय लग रहा था तो उन्होंने पैंट की तरह धोती पहनी और झट से लोगों से मिलने आ गए। यह धोती गेटिस लगी हुई बतायी जाती रही। यह खबर ऐसे उड़ी कि राजनीतिक हलकों में खासकर विपक्षी दलों ने इस खबर को लेकर खूब मजे लिए।
