संभल: 'मुद्दतों रोया करोगे मेरे मर जाने के बाद...', शेर सुनाते हुए डॉ. बर्क का वीडियो सोशल मीडिया पर छाया

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Published By Vikas Babu
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भीष्म सिंह देवल, संभल। मुद्दतों रोया करोगे मेरे मर जाने के बाद, याद आयेगी मेरी मेरे गुजर जाने के बाद। यह शेर पिछले एक साल के दौरान डॉ. शफीकुर्रहमान ने अनेक बार समर्थकों को सुनाया। अब उनके इंतकाल के बाद शेर सुनाते हुए उनका वीडियो सोशल मीडिया पर छाया है।  डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क ने मुस्लिमों के हक के लिए आवाज बुलंद कर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। 

चार बार विधायक और पांच बार सांसद बनने के बाद भी उस छवि को कायम रखा। अपने बयानों और भाषणों से बर्क कट्टर मुस्लिम नेता नजर आते थे, लेकिन उनकी जिंदगी का एक पहलू यह भी था कि जिसे अपना बना लिया फिर उसका साथ नहीं छोड़ा, चाहें वह किसी भी जाति या धर्म का हो।

चार बार विधायक बनने तक डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क स्थानीय मुद्दों को लेकर बात करते थे, लेकिन जब सांसद बनकर संसद में बैठे तो उन्होंने देश के मसलों पर खुलकर बोलना शुरू किया। 2013 में डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क ने संसद में वंदे मातरम का विरोध कर सदन से वाकआउट किया तो देश भर में हंगामा हुआ। बाबरी मस्जिद को लेकर भी वह खुलकर बोलते थे। 

जनसंख्या नियंत्रण कानून का भी डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क ने खुलकर विरोध किया था। इजरायल और फिलिस्तीन के बीच युद्ध के हालात में फिलिस्तीन के समर्थन की बात कह दी थी। 94 साल की उम्र में भी वह देश और दुनिया के मामलों को लेकर ऐसी प्रतिक्रिया देते थे कि उनकी कही बात मीडिया की हेडलाइन बनती थी। 

पिछले दिनों यह चर्चा चली कि क्या इस बार फिर से बर्क चुनाव लड़ेंगे या फिर ज्यादा उम्र की वजह से अब सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लेंगे। जब डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क से पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि चुनाव लडूंगा और पहले से ज्यादा वोट से जीत कर दिखाऊंगा। पार्टी में उनका विरोधी खेमा टिकट कटवाने के लिए जुटा रहा, लेकिन सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पहली ही सूची में उन्हें फिर से संभल सीट से सपा का उम्मीदवार घोषित कर दिया।

मोदी ने की थी तारीफ, केबीसी में भी पूछा गया सवाल
सपा सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क भले ही विरोधी पार्टी से थे, लेकिन 93 साल की उम्र में उनकी सक्रियता और संसद की कार्यवाही में लगातार मौजूद रहने की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में कहा था कि 93 साल की उम्र के होते हुए भी बर्क इस संसद में बैठे हैं। सदन के प्रति ऐसी निष्ठा सभी की होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने इस बार डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क को जन्मदिन की शुभकामनाएं भी दी थीं। वहीं इस साल कौन बनेगा करोड़पति में भी उनसे जुड़ा सवाल पूछा गया कि देश के सबसे ज्यादा उम्र वाले सांसद का नाम क्या है।

अस्पताल में भी नहीं छोड़ी नमाज
डॉ शफीकुर्रहमान बर्क पांच वक्त की नमाज के ऐसे पाबंद थे कि किसी भी हाल में वह नमाज नहीं छोड़ते थे। चुनाव के दौरान मतगणना भले ही निर्णायक दौर में हो लेकिन जैसे ही नमाज का समय होता था वह मतों की गिनती से दूर हटकर नमाज पढ़ने के लिए बैठ जाते थे। इतना ही नहीं अस्पताल में भी वह नमाज नहीं छोड़ना चाहते थे। एक साल पहले हालत बिगड़ने के बाद निजी अस्पताल के आईसीयू में उन्हें भर्ती कराया गया था। दोपहर को अस्पताल स्टाफ ने आकर देखा तो बर्क बैड के पास ही चादर बिछाकर नमाज अदा कर रहे थे

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