बरेली: एक सीट जीतने की आधी खुशी, आंवला हारने के साथ 400 पार का दावा धराशायी होने से भी लगा झटका

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Published By Vikas Babu
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बरेली, अमृत विचार: भाजपा अपना गढ़ कहे जाने वाले बरेली की सीट तो बचाने में कामयाब रही लेकिन इस जीत पर भी पुरानी छाप नजर नहीं आई। पड़ोस में आंवला की सीट हार जाने और राष्ट्रीय स्तर पर चार सौ पार के दावे के धराशायी होने से यह खुशी और कम हो गई। बरेली के नए सांसद बने छत्रपाल सिंह की जीत पर जश्न तो मना लेकिन इसमें जोश नजर नहीं आया।

भाजपा आंवला सीट पर अपने प्रदर्शन को लेकर जरूर सशंकित थी लेकिन बरेली में बड़े अंतर से सुनिश्चित जीत का दावा किया जा रहा था। मंगलवार को मतगणना हुई तो दावा आधा ही पूरा होता नजर आया। छत्रपाल जीते तो लेकिन सिर्फ 35025 वोटों के अंतर से। इससे पहले पिछले दो चुनाव में संतोष गंगवार ने यह सीट भारी अंतर से जीती थी।

लोकसभा चुनाव 2014 में संतोष को 5,18,258 मत मिले थे और उन्होंने प्रतिद्वंद्वी सपा प्रत्याशी आयशा इस्लाम को 2,40,685 वोटों के अंतर से हराया था। लोकसभा चुनाव 2019 में संतोष को 5,65,270 वोट मिले, उन्होंने प्रतिद्वंद्वी सपा-बसपा के संयुक्त प्रत्याशी भगवत सरन गंगवार को 1,67,282 मतों से हराया था।

संतोष का टिकट कटने से लगा था तगड़ा झटका
आठ बार सांसद रहे संतोष गंगवार का टिकट इस बार काटा गया तो स्थानीय भाजपा नेता सकते में आ गए। पार्टी का चुनाव अभियान भी कई दिन के लिए थम सा गया। इसी बीच पार्टी के एक धड़े के बरेली छोड़कर दुर्विजय सिंह शाक्य का चुनाव लड़ाने बदायूं चले जाने के मामले ने भी तूल पकड़ा। माना जा रहा है कि बाद में भाजपा नेतृत्व की कोशिशों से चुनाव अभियान पटरी पर जरूर आ गया लेकिन नुकसान की पूरी भरपाई नहीं हो पाई। इस घटनाक्रम का कुछ असर आंवला में भी पड़ा।

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