Auraiya: हत्या के मामले में वकील समेत छह दोषियों को आजीवन कारावास
औरैया, अमृत विचार। दिबियापुर थाना क्षेत्र के गांव चपोली में करीब तीन दशक से दो परिवारों के बीच रंजिश चली आ रही है। खूनी रंजिश के क्रम में एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या व एक पर जानलेवा हमले के 17 साल पुराने मामले में शुक्रवार को कोर्ट ने निर्णय सुनाया।
अपर सत्र न्यायाधीश (प्रथम)विकास गोस्वामी ने इस हत्याकांड में एक अधिवक्ता प्रद्युम्न तिवारी उर्फ पिंटू व उसके पांच भाइयों को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया। आरोपी वकील की मां मिथलेश कुमारी को कोर्ट ने दोषमुक्त करते हुए बरी कर दिया है।
ग्राम चपौली निवासी रामस्वरूप पाठक पुत्र छोटेलाल पाठक ने अपने ही गांव के सात लोगों के खिलाफ थाना दिबियापुर में हत्या का मामला दर्ज कराया था। वादी ने बताया कि 18 नवंबर 2007 की दोपहर 1:30 बजे उसका भाई रामदास उर्फ अल्लू पाठक व उसकी भतीजी सरिता व उसका भाई घर से केरोसिन लेने हेतु कोटा डीलर डीलर हरीकिशन तिवारी के दरवाजे पर पहुंचे।
उसी समय विपक्षी मंजुल उर्फ अनुराग तिवारी, पिन्टू उर्फ प्रध्यम्न तिवारी ,अतुल तिवारी व कपिल तिवारी पुत्रगण किशन बाबू तिवारी उर्फ छोटे तथा उनके चचेरे दो भाई नवल तिवारी व कमल तिवारी पुत्रगण सुभाष तिवारी व मंजुल की मां मिथलेश ने एक राय होकर उसके भाई रामदास की गोली मारकर हत्या कर दी तथा भाई अनुज को गोली मारकर घायल कर दिया।
इस तहरीर पर थाना दिबियापुर में सातों के विरुद्ध हत्या व प्राण घातक हमले का मुकदमा दर्ज हुआ तथा पुलिस ने सभी के विरुद्ध आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया। यह मामला अपर सत्र न्यायालय (प्रथम) में चला तथा शुक्रवार इसका निर्णय सुनाया गया।
अभियोजन की ओर से पैरवी कार रहे चन्द्रभूषण तिवारी (एडीजीसी) व ह्रदय नारायण पाण्डेय व अंकुर अवस्थी आदि ने इस मामले में बहस की। वहीं बचाव पक्ष वकील ने आरोपियों का बचाव किया। दोनो पक्षों को सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश विकास गोस्वामी ने आरोपी वृद्ध महिला मिथलेश पत्नी स्व. किशन बाबू तिवारी को दोषमुक्त कर दिया।
लेकिन अन्य छह अभियुक्त मंजुल उर्फ अनुराग, पिंटू उर्फ प्रद्युम्न, अतुल तिवारी, कपिल तिवारी, नवल तिवारी, कमल तिवारी निवासी चपौली को हत्या व जानलेवा हमले का दोषी माना और सभी दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और प्रत्येक पर 78 हजार रुपए का अर्थदंड लगाया। सभी दोषियों को इटावा जेल भेज दिया गया। कोर्ट ने अर्थदंड से डेढ़ लाख रुपए व घायल को एक लाख देने का फैसला सुनाया।
निर्णय को लेकर सुरक्षा व्यवस्था रही
गांव चपौली में दोनों परिवार के मध्य प्रधानी को रंजिश को लेकर खूनी संघर्ष की शुरुआत 1990 से चली आ रही हैं। जिसमें दोनों परिवारों के कई लोगों की जान जा चुकी है। लेकिन इस केस में एक पक्ष के आधा दर्जन लोगों को कठोर सजा का सामना करना पड़ा। एक अभियुक्त प्रद्युम्न तिवारी के अधिवक्ता होने पर निर्णय सुनाए जाने से पहले प्रशशान ने सुरक्षा के इंतजाम किए थे। सीओ भी मौजूद रहे।