काम के बोझ से दबे हैं गुरुजी, कैसे पढ़े बच्चे

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Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचार: प्राथमिक शिक्षकों और शिक्षक नेताओं की शिकायत है कि दर्जन भर प्रशासनिक कार्यो को सौंप दिया गया है जिसमें शिक्षक उलझा रहता है। इसके अलावा तरह-तरह के एप से शिक्षक जूझता रहता है। जिसके कारण मूल पठन-पाठन का माहौल नहीं बन पाता। पठन-पाठन के मूलकार्य से इतर अनेक अतिरिक्त सरकारी कार्य शिक्षकों को करना पड़ रहा है।
काम के बोझ तले दबे शिक्षक बच्चों को नैसर्गिक शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं। अब उनको शिक्षा के अलावा दर्जनों प्रशासनिक कार्यो को सौंप दिया गया है। शिक्षक नेता ब्रजेश मिश्र कहते हैं कि शिक्षा निदेशक ने बच्चों के जन्म पंजीकरण का फरमान जारी किया है।

शिक्षकों का काम

छात्र नामांकन, प्रवेशोत्सव, मैपिंग, पीएफएमएस के ढेरों काम यथा बिल बाउचर, पीपीए फीडिंग, प्रिंटिंग, बैंक में जमा करना, अलग से बैठक बुलाना, भुगतान आदेश, एसएमसी गठन, ऑडिट, एमडीएम खाता प्रबंधन, आधार, टीसी, यू डायस में टीचर मॉड्यूल, स्टूडेंट मॉड्यूल, स्कूल मॉड्यूल ऑनलाइन भरना, शाला प्रमाण पत्र, पौधरोपण, शैक्षिक संवाद, ट्रेनिंग, हाउस होल्ड सर्वे, रैलियां, सभाएं, स्कूल चलो अभियान, सांस्कृतिक कार्यक्रम, रक्तदान आयोजन, खेल महोत्सव, स्वच्छता अभियान, शिक्षा सप्ताह, बच्चों के आधार बनवाने के साथ अभिभावकों के डीबीटी खातों में आधार फीड और सीड करवाना शामिल है।

शिक्षकों में आक्रोश है लेकिन नौकरी की मजबूरी है क्या करें। यह आक्रोश आंदोलन बनकर फूट सकता है। इसके लिए शिक्षक आंदोलन की रणनीति पर विचार कर रहे हैं।
ब्रजेश मिश्र, प्राथमिक शिक्षक नेता

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