AKTU के छात्रों के नवाचार उत्पाद जल्द बजारों में होंगे उपलब्ध, 100 करोड़ रुपये का निवेश, जानें क्या है खास?

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Published By Muskan Dixit
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मार्कण्डेय पाण्डेय, लखनऊ, अमृत विचार: डॉ.अब्दुल कलाम तकनीक विश्वविद्यालय के छात्रों के नवाचार उत्पाद बाजार में उपलब्ध कराने की तैयारी है। इसके लिए नवाचारों का पेटेंट कराया जाएगा, ताकि उन्हें औद्योगिक स्तर पर लाया जा सके। इसके अलावा अगले एक वर्ष में प्रदेश में इंक्यूबेशन सेंटरों की संख्या 70 से बढ़ाकर 300 करने की भी तैयारी है, इसके लिए विश्वविद्यालय की वित्त समिति ने 100 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिए हैं।

प्रदेश में अभी 70 इंक्यूबेशन सेंटर हैं। तकनीक क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए इसकी संख्या बढ़ाई जाएगी। छह माह में 150 और एक वर्ष में 300 ऐसे केंद्रों की स्थापना की जानी है। प्रतिकेंद्र करीब 15 लाख का खर्च होना है। हाल ही में विश्वविद्यालय की वित्त समिति की बैठक में 100 करोड़ की इनोवेशन निधि के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई थी। इंक्यूबेशन सेंटर की संख्या बढ़ने से छात्र आत्मनिर्भर होंगे और रोजगार की संभावनाएं तीव्र गति से बढेंगी। छात्रों ने अनेक जनउपयोगी यंत्रों का निर्माण किया है, लेकिन पेटेंट के अभाव में उनका औद्योगिक प्रयोग नहीं हो पाता था। विश्वविद्यालय स्तर पर अब नॉन प्राफिट कंपनियों को बढ़ावा दिया जाएगा।

स्टार्टअप, इंक्यूबेशन सेंटर और इंटरप्रेन्योरशिप

स्टार्टअप छात्रों के किसी नए विचार के साथ शुरू होने वाला व्यवसाय है। इसमें कुछ इनोवेशन (नवाचार) होना चाहिए। इस नवाचार के विचार को साबित करना पड़ता है। जिसका पेटेंट कराया जाता है। पेटेंट हासिल होने के बाद कंपनी बनाई जाती है, जिसको सरकार की ओर से अनुदान प्राप्त होता है। इसके बाद बाजार में उत्पाद उतारने के लिए निवेशकों को आमंत्रित किया जाता है। इस पूरे प्रक्रिया को इंटरप्रेन्योरशिप कहा जाता है जबकि इस प्रक्रिया को सहयोग करने का काम इंक्यूबेशन सेंटर करते हैं।

देश मेंचार जगह होता है पेटेंट

दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में पेटेंट के चार केंद्र हैं। प्रदेश के विश्वविद्यालय अपने पेटेंट का दावा दिल्ली स्थित केंद्र के माध्यम से करते हैं।

इन यंत्रों का छात्रों ने किया विकास

कोरोना काल में छात्रों ने नवाचार के तहत रोबोट नर्स, सेंसर लॉकेट, सेंसर छड़ी, स्कैनर मशीन और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जुडे कई उपकरणों का निर्माण किया। कई मेडिकल उपकरणों का भी विकास किया। पेटेंट न होने से उपकरण बाजार में उपलब्ध नहीं हो सके।

अगले एक वर्ष में 300 इंक्यूबेशन सेंटर बनाए जाने का लक्ष्य है। भविष्य में प्रत्येक कॉलेज में ऐसे केंद्र का निर्माण किया जाना है। इससे छात्रों की आत्मनिर्भरता के साथ ही रोजगार के अत्यधिक अवसर पैदा होंगे।
डॉ. महीप सिंह, डॉ. अब्दुल कलाम तकनीक विश्वविद्यालय

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