Sambhal violence : न्यायिक आयोग ने दंगों से प्रभावित इलाकों का किया निरीक्षण, बारीकी से DM-SP ने समझाया

Sambhal violence : न्यायिक आयोग ने दंगों से प्रभावित इलाकों का किया निरीक्षण, बारीकी से DM-SP ने समझाया

संभल। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित न्यायिक आयोग ने 24 नवंबर को शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हुए दंगों से प्रभावित इलाकों का मंगलवार को निरीक्षण किया। पिछले साल के अंत में गठित आयोग ने शाही जामा मस्जिद क्षेत्र सहित इन स्थानों का फिर से दौरा किया, जहां 24 नवंबर को हिंसा हुई थी। न्यायिक आयोग में उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेंद्र अरोड़ा, उप्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक अरविंद कुमार जैन और राज्य के पूर्व अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद शामिल हैं। सरकार ने आयोग का गठन दंगों की जांच करने और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए किया है। इसके पहले भी आयोग ने संभल का दौरा किया था। 

न्यायिक आयोग की तरफ से संभल के लोक निर्माण विभाग निरीक्षण भवन में सुबह 11:00 बजे से 4:00 बजे तक मौजूद रहकर घटना को लेकर लोगों के साक्ष्य दर्ज करने का कार्यक्रम घोषित किया गया था। लेकिन, आयोग के सदस्य सीधे कोतवाली संभल पहुंचे और वहां गाड़ियां खड़ी कर पैदल जामा मस्जिद की तरफ रवाना हो गए। जहां 24 नवंबर को हिंसा हुई थी। न्यायिक आयोग ने उस हर जगह पर रुककर घटना की जानकारी ली जहां हिंसा हुई थी।

आयोग का यह दूसरा दौरा है इससे पहले आयोग के सदस्य एक दिसंबर को संभल पहुंचे थे। लेकिन, उस समय आयोग के केवल दो ही सदस्य थे। तीसरे सदस्य अमित मोहन उस समय नहीं थे। मंगलवार को न्यायिक आयोग के तीनों सदस्य मुख्य मार्गों पर ही नहीं बल्कि उन गलियों में भी गए जहां भीड़ इकट्ठी हुई थी, जहां से पथराव और फायरिंग हुई थी। उसे जगह को भी देखा जहां हिंसा के दौरान युवकों के शव पड़े मिले थे। इसके बाद न्यायिक आयोग उस कब्रिस्तान में भी पहुंचा, जहां पर पाकिस्तान निर्मित कारतूस मिले थे। इन जगहों का जायजा लेने के बाद न्यायिक आयोग ने जामा मस्जिद का रुख किया।

जामा मस्जिद के निकट पुलिस अधीक्षक ने न्यायिक आयोग को वह जगह दिखाई जहां तक भीड़ इकट्ठा होकर आ गई थी। यह भी बताया कि इससे आगे भीड़ बढ़ जाती तो क्या परिणाम होता। न्यायिक आयोग के सदस्य जामा मस्जिद पहुंचे। पहले जामा मस्जिद गेट पर बनी पुलिस चेक पोस्ट को देखा और फिर जामा मस्जिद के अंदर चले गए। न्यायिक आयोग के सदस्य 15 मिनट से ज्यादा समय तक जामा मस्जिद के अंदर रहे। उसके बाद न्यायिक आयोग लोक निर्माण विभाग के निरीक्षण भवन में आ पहुंचा जहां हिंसा को लेकर पुलिसकर्मी और आम जनता के बयान दर्ज किए जाने हैं।

आयोग के प्रतिनिधिमंडल के साथ जिलाधिकारी (डीएम) राजेंद्र पेंसिया, पुलिस अधीक्षक (एसपी) कृष्ण कुमार विश्नोई और मुरादाबाद रेंज के पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) मुनिराज जी भी थे। आयोग के सदस्यों के नेतृत्व में टीम ने एक घंटे से अधिक समय तक व्यापक निरीक्षण किया। इसके बाद, उन्होंने संभल में चंदौसी रोड पर पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में पहुंचकर सुनवाई शुरू की। आयोग के सदस्य आज शाम चार बजे तक लोगों का बयान दर्ज करेंगे। 

पत्रकारों से बात करते हुए आयोग के सदस्य और पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन ने कहा, "हमने यह शिविर इसलिए लगाया है ताकि जो लोग अपना पक्ष रखना चाहते हैं और जानकारी देना चाहते हैं, उन्हें लखनऊ न जाना पड़े। यह उनकी सुविधा के लिए है। हम उनकी बात सुनने के लिए 4-5 घंटे यहां रहेंगे।" जांच का उद्देश्य दंगों के कारणों का पता लगाना और प्रभावित लोगों से प्रासंगिक साक्ष्य जुटाना है। 24 नवंबर की हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी, जबकि सुरक्षाकर्मियों सहित कई अन्य घायल हो गए थे। इस घटना को लेकर सत्तारूढ़ दल और विपक्षी दलों के बीच राजनीतिक टकराव तेज हो गया था। 

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