सितारगंज फोरलेन: 50 परिवारों को हटाने की तैयारी, NHAI के पीडी ने डीएम को लिखा पत्र
रिठौरा में भी मुआवजा विवाद होने की वजह से कब्जा नहीं ले पाया है एनएचएआई
राकेश शर्मा, बरेली। बरेली-सितारगंज फोरलेन हाईवे कई माह पहले भूमि मूल्यांकन में हुए घोटाले की वजह से लटका रहा। अब जमीन पर कब्जा न होने की वजह से रिठौरा से नवाबगंज के बीच में करीब दो किलोमीटर में निर्माण कार्य बाधित हो गया है। नवाबगंज में आवास योजना के तहत बसे 50 परिवारों को हटाया जाना है। यह जमीन नवीन परती और खेल मैदान श्रेणी की है। एनएचएआई के परियोजना निदेशक प्रशांत दुबे ने जमीन पर कब्जा दिलाने के लिए डीएम को पत्र लिखा है।
परियोजना निदेशक ने डीएम को अवगत कराया है कि एनएचएआई की कार्यदायी संस्था ने 90 प्रतिशत से अधिक भूमि पर कब्जा प्राप्त कर लिया है और परियोजना का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है लेकिन ग्राम रिठौरा, लाडपुर उस्मानपुर और फरीदपुर गंगा उर्फ नवादा के कुछ भूखंडों पर भौतिक कब्जा नहीं हुआ है। इस कारण कार्य बाधित हो गया है।
परियोजना निदेशक ने बताया है कि परियोजना की कुल लंबाई 32 किमी है। इसमें से अलग-अलग भूखंडों पर करीब दो किमी लंबाई में काम रुका हुआ है। डीएम से गाटा नंबरों के आधार पर इस जमीन पर भौतिक कब्जा दिलाने का आग्रह किया गया है। डीएम रविन्द्र कुमार ने इसके लिए एसडीएम नवाबगंज और एसडीएम सदर को निर्देश जारी किए हैं।
- इन गाटा नंबरों की जमीन पर कब्जा लेना अभी बाकी
तहसील सदर क्षेत्र के रिठौरा में गाटा नंबर 1420, 1421, 1422, 1423, 1430, 1431, 1432, 1434 की भूमि है। करीब 300 मीटर लंबाई तक हाईवे का कार्य बाधित है। भूमि के मुआवजे में विवाद होने के कारण काश्तकारों की ओर से विरोध किया जा रहा है। - नवाबगंज तहसील के लाडपुर उस्मानपुर में गाटा नंबर 756, 765, 766 की भूमि है। करीब 500 मीटर में हाईवे का निर्माण बाधित है। भूखंड के स्वामित्व को लेकर मुआवजा पर विवाद है। इस कारण काश्तकारों ने विरोध कर काम को बाधित कर दिया है।
- नवाबगंज तहसील के फरीदपुर गया उर्फ नवादा में गाटा नंबर 343, 344, 346 की भूमि है। करीब 300 मीटर तक हाईवे का कार्य बाधित है। इस भूमि पर 50 परिवारों के दो सौ से अधिक लोग आवास योजना के तहत काबिज हैं। यह भूमि खेल मैदान और नवीन परती की श्रेणी में दर्ज है।
आवासों की भूमि खाली कराना चुनौती
नवाबगंज के फरीदपुर गया उर्फ नवादा में नवीन परती और खेल मैदान की भूमि खाली कराना बड़ी चुनौती है। पहली बात, यहां योजना के आवास बने होने के साथ 50 से ज्यादा परिवार रह रहे हैं। आवास खाली कराने के लिए उन्हें पहले विस्थापित करना होगा। सालों से लोगों के रहने की बात सामने आयी है। दूसरी बात, रिठौरा में कुछ दिन पहले एनएचएआई के अधिकारी बुलडोजर लेकर गए तो उन्हें किसानों के तीखे विरोध की वजह से लौटना पड़ा था। रिठौरा में खाली भूमि पर कब्जे लेने गए थे, नवाबगंज में तो 50 परिवारों का मामला है।
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