Kanpur: नई श्रम संहिताओं पर बन रहा अंतरराज्यीय पैनल, 29 श्रम कानूनों को समाप्त करके बनाई गई थीं चार श्रम संहिताएं
महेश शर्मा, कानपुर। केंद्रीय बजट में गिग और प्लेटफार्म वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा देने की घोषणा के साथ ही सरकार ने श्रम संहिताओं के क्रियान्वयन को लेकर कदम बढ़ा दिए हैं। इसके लिए केंद्रीय श्रम मंत्रालय 36 राज्यों और केंद्र शासित राज्यों का अंतर-राज्यीय पैनल बना रहा है, जिसकी घोषणा शीघ्र ही की जाएगी।
देश में विभिन्न श्रम कानूनों को सुव्यवस्थित करने के लिए संसद ने वर्ष 2019 में एक श्रम संहिता विधेयक और सितंबर, 2020 में तीन श्रम संहिता विधेयक पारित किए थे। इनके जरिए सरकार ने 29 जटिल श्रम कानूनों को चार संहिताओं वेतन संहिता अधिनियम, औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य स्थिति संहिता विधेयक और सामाजिक सुरक्षा संहिता विधेयक में परिभाषित किया है।
सरकार का लक्ष्य 2024 तक इन संहिता को लागू करना था। लेकिन यह काम पिछड़ने से मजदूरी, ग्रेच्युटी, बोनस जैसे कार्य पुराने नियमों से चल रहे हैं। नयी श्रम संहिताओं पर अमल केंद्र और राज्य सरकारों की अधिसूचना पर टिका है। इनके जारी होते ही 29 पुराने श्रम कानूनों का स्थान ये चार श्रम संहिताएं ले लेंगी। श्रम विभाग का दावा है कि इससे श्रमिकों के जीवनस्तर में सुधार आएगा। उद्योग और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।
आम सहमति और ट्रेड यूनियनों को विश्वास में लेने की चुनौती
एक रिपोर्ट के अनुसार देश में श्रमबल की संख्या 56.5 करोड़ है। इसमें 55 प्रतिशत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़ा है। ईपीएफओ में वर्ष 2024 में उपभोक्ता 1.31 करोड़ हो गए हैं। नीति आयोग के अनुसार शार्ट-टर्म में काम करने वाले गिग और प्लेटफार्म वर्कर्स की संख्या आने वाले पांच सालों में ढाई करोड़ से ज्यादा होने की संभावना है। नौकरीपेशा व काम की तलाश वाले 2024 में 60.1 प्रतिशत हो गए हैं। ये सब श्रमबल का हिस्सा हैं। ऐसे में आम सहमति और ट्रेड यूनियनों को विश्वास में लेकर श्रम संहिताएं लागू करने की चुनौती है।
सरकार को नयी श्रम संहिताओं को लागू करने से पहले आम सहमति और ट्रेड यूनियनों को विश्वास में लेना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर ट्रेड यूनियनों का विरोध जारी रहेगा। - आचार्य विष्णु शुक्ला, श्रम कानून विशेषज्ञ
श्रम संहिताओं पर अमल होने से श्रमिक वर्ग को निश्चित लाभ होगा। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय का अंतर-राज्यीय समिति गठन का निर्णय स्वागत योग्य है। सरकार ने कल्याणकारी कदम बढ़ाया है। अभी पुराने श्रम कानून ही लागू हैं। - प्रदीप चतुर्वेदी, श्रम अधिकारी, केएफसीएल
श्रम संहिताएं लागू करने को पैनल बनाने का निर्णय स्वागत योग्य है पर भारतीय मजदूर संघ दो संहिताओं औद्योगिक संबंध और व्यवसायिक सुरक्षा एवं सरंक्षा तथा स्वास्थ व कार्यस्थल संबंधी संहिता में बदलाव चाहता है। यदि ऐसा न हुआ तो संघ विरोध करेगा। - अनिल उपाध्याय, महामंत्री, भारतीय मजदूर संघ उप्र
