हाइकोर्ट में 30 लाख लोगों के लिए केवल एक न्यायाधीश, 11 लाख से अधिक मामले लंबित, याचिका में हुआ खुलासा
न्यायिक रिक्तियों को तत्काल और समयबद्ध ढंग से भरने के लिए हाइकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल
प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायिक रिक्तियों को तत्काल और समयबद्ध तरीके से भरने के मामले में एक जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि 24 करोड़ की आबादी और उच्च न्यायालय में 11,55,225 मामलों के लंबित रहने के बावजूद प्रत्येक 30 लाख लोगों के लिए केवल एक न्यायाधीश है, और प्रत्येक न्यायाधीश औसतन 14,623 लंबित मामलों को संभाल रहा है। याचिका में आगे बताया गया है कि उच्च न्यायालय वर्तमान में अपने इतिहास के सबसे गंभीर संकटों में से एक का सामना कर रहा है। एक ऐसा संकट जो सीधे तौर पर उसके संवैधानिक कार्यों को निष्पादित करने की क्षमता को खतरे में डालता है।
न्यायालय में 50% से अधिक पद अर्थात कुल 81 पद रिक्त हैं। याचिका में आगे तर्क दिया गया है, अगर न्यायिक रिक्तियां रिक्त रहीं तो इससे न्याय प्रशासन के कमजोर होने तथा न्यायपालिका में जनता का विश्वास खत्म होने का खतरा है, इसलिए याचिका में संवैधानिक न्यायालय की ताकत और कद को बहाल करने के लिए शीघ्र, पारदर्शी और सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाने की मांग की गई है। उक्त याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश त्रिवेदी ने अधिवक्ता शाश्वत आनंद, सैयद अहमद फैजान और सौमित्र आनंद के माध्यम से दाखिल की है। इसमें सैयद फरमान अब्बास नकवी, वरिष्ठ अधिवक्ता बहस करेंगे। उच्च न्यायालय न्यायिक दिशा-निर्देशों के माध्यम से एक अनिवार्य जवाबदेही तंत्र स्थापित करें। इन दिशा-निर्देशों के अनुसार किसी भी रिक्ति के आने से छह महीने पहले न्यायिक पदोन्नति के लिए संभावित उम्मीदवारों की सिफारिश की आवश्यकता होगी। देरी को रोकने के लिए याचिका में एक त्वरित प्रक्रिया की आवश्यकता पर जोर दिया गया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि जब कोई रिक्ति होती है या कोई न्यायाधीश सेवानिवृत्त होता है, तो उत्तराधिकारी तुरंत तैयार हो। याचिका के अनुसार इससे न्यायालय बिना किसी रुकावट के 160 न्यायाधीशों की अपनी पूरी स्वीकृत शक्ति के साथ काम कर सकेगा। मामले के अनुसार 1 जनवरी, 2025 तक उच्च न्यायालय में 11,41,687 मामलों के लंबित होने के बावजूद, इन रिक्तियों को युद्ध स्तर पर भरने के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया गया है।
यह भी पढ़ें : राहुल गांधी से कोर्ट ने मांगा 200 रुपये का जुर्माना, जानिए क्यों
