प्रयागराज : अनावश्यक स्थगन की मांग करने वाले वादियों को लगाई फटकार

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Published By Vinay Shukla
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प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में अतिरिक्त समय की मांग को अस्वीकार करने के साथ-साथ स्थगन की मांग करने वाले सामान्य पक्षकारों को फटकार लगाते हुए कहा कि आश्चर्यजनक है कि न्यायालयों में देरी के खिलाफ इतने व्यापक विरोध के बावजूद, देश के नागरिक, चाहे वे किसी भी स्थिति में हों, जब वे वादी के रूप में न्यायालय में उपस्थित होते हैं, तो समय मांगना और अपने हित के लिए स्थगन का आनंद लेना पसंद करते हैं।

कोर्ट ने वादियों के लापरवाह रवैये पर चिंता जताते हुए कहा कि न्यायिक देरी में योगदान देने वाले वादियों की भूमिका को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। ऐसी स्थिति को, जिसके बारे में 'न तो बात की जाती है और न ही इसकी निंदा की जाती है', एक गंभीर 'खतरा' बताते हुए कोर्ट ने इस प्रवृत्ति को 'दृढ़ता से हतोत्साहित' किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की एकलपीठ ने एक तहसीलदार द्वारा मुख्य स्थायी अधिवक्ता को दिए गए लिखित निर्देश से निराश होकर कीं, जिसमें उनसे रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए अदालत से कुछ अतिरिक्त समय मांगने का अनुरोध किया गया था।

मूलतः कोर्ट शैलेंद्र प्रजापति की एक जनहित याचिका पर विचार कर रहा था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि ग्राम बेन्दुई , पोस्ट सरेन , परगना अतरौलिया , तहसील बुढ़नपुर , जिला आजमगढ़ में एक तालाब पर विपक्षियों द्वारा अतिक्रमण किया गया था। उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 67 के अंतर्गत कार्यवाही में तहसीलदार बूढ़नपुर द्वारा बेदखली का आदेश पारित किया गया था , लेकिन अभी तक उस पर अमल नहीं किया गया। कोर्ट ने 10 अप्रैल को बेदखली के आदेश का कथित रूप से पालन न करने पर तहसीलदार से रिपोर्ट मांगी थी। हालांकि संबंधित तहसीलदार ने सीएससी के माध्यम से रिपोर्ट दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग  की। अंत में कोर्ट ने संबंधित तहसीलदार को तीन दिनों के भीतर अपना हलफनामा दाखिल करने या सुनवाई की अगली तारीख 30 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया।

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