पीलीभीत: नालों पर लगवाए गए पर्दों के पीछे छिपी सफाई की हकीकत...बदतर बनें हालात

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Published By Pradeep Kumar
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पीलीभीत, अमृत विचार। पर्दे में रहने दो पर्दा न उठाओ, पर्दा जो उठ गया तो भेद खुल जाएगा..। इस फिल्मी गीत की पंक्तियां इन दिनों शहर में की गई तैयारियों को लेकर हकीकत बयां करती सी दिखाई दे रही है। नालों पर पर्दे लगाए गए हैं। इन पर्दों के पीछे की तस्वीर आगामी मानसून की दस्तक को लेकर भी चिंता बढ़ा रही है। फुटपाथ स्ट्रीट फूड हब बन चुके हैं।  वहीं, यहां पर ठेला-दुकान लगाने वालों ने नाले को कूड़ादान बना दिया है।

शहर की सड़कों को जलभराव से मुक्ति दिलाने के लिए इन दिनों 32 लाख रुपये की लागत से नालों की तलीझाड़ सफाई कराई जा रही है। इसमें 28 बड़े नाले साफ किए जाएंगे। दावा ये भी है  कि अधिकांश में काम पूरा भी हो चुका है। गांधी स्टेडियम रोड पर राज्यपाल के आगमन को लेकर नालों को पर्दा लगाकर ढक दिया गया था। लोगों ने इसके कई मतलब निकाले लेकिन इसके पीछे की तस्वीर जब उजागर हुई तो साफ हो गया कि आखिर छिपाया क्या गया। पूरे नाले चोक पड़े हुए हैं। डिस्पोजल और पॉलिथीन का जमावड़ा ऐसा है कि मानों उस पर पैदल ही गुजर जाएं। बता दें कि ये मार्ग कुछ समय में स्ट्रीट फूड हब बन गया है। इस नाले में फैला कूड़ा करकट देखकर साफ है कि इसी में सभी दुकानों के पत्तल, डिस्पोजल फेंक रहे हैं। नगर पालिका के जिम्मेदार न तो सफाई करा पा रहे हैं न ही निगरानी कर सख्ती। इसके अलासवा विशाल टॉकीज के पास भी स्ट्रीट फूड हब जैसी स्थिति बन चुकी है। यहां पर भी नाले में हाल बेहाल है। पुलियों के दर पॉलिथीन और डिस्पोजल सामान से चोक हो चुके हैं। इसे लेकर कई बार सख्ती के दावे किए जा चुके हैं। मगर, धरातल की हकीकत नहीं बदली जा सकी है।

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