International Yoga Day 2025 : ऐतिहासिक विरासत रूमी दरवाजा बना योग का प्रतीक स्थल, LU के छात्रों ने किया योगाभ्यास

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
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लखनऊ, अमृत विचार: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के पूर्व ही राजधानी लखनऊ योग की सकारात्मक उर्जा से तरंगित होने लगा है। शहर के प्रमुख विश्वविद्यालयों में योग के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक पक्षों पर आधारित विविध कार्यक्रम आयोजित होने आरंभ हो गए हैं। ऐतिहासिक स्मारकों से लेकर शैक्षिक परिसरों तक योग के माध्यम से स्वास्थ्य, संस्कृति और चेतना का संदेश शैक्षिक संस्थान दे रहे हैं। इसी क्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय के फैकल्टी आफ योग और अल्टरनेटिव मेडिसिन विभाग की ओर से शहर के ऐतिहासिक रुमी दरवाजा पर योग शिविर का आयोजन किया गया।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में सुबह 5 बजे ऐतिहासिक रूमी दरवाजा के समक्ष भव्य योगाभ्यास शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में अंजनेयासन, वीरभद्रासन, नटराजासन, गौमुखासन, त्रिकोणासन जैसे प्रमुख आसनों के साथ-साथ भ्रामरी, अनुलोम-विलोम, शीतली और सूर्यनमस्कार का अभ्यास कराया गया। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. अमरजीत यादव ने कहा कि ऐतिहासिक धरोहरों पर योगाभ्यास कराने से राष्ट्रीय गौरव और सांस्कृतिक चेतना का विकास होता है। यह स्वास्थ्य और संस्कृति का संगम है। उन्होंने बताया कि प्रातःकाल योग करने से शरीर में चेतना और स्फूर्ति का संचार होता है, और चक्रों का जागरण होता है।

प्राणायाम कार्यशाला: शरीर और आत्मा पर प्रभाव

विश्वविद्यालय के योग सभागार में शरीर पर प्राणायाम का प्रभाव विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें योगाचार्य किशोर कुमार शुक्ला ने भस्त्रिका, उज्जायी, शीतली, शीतकारी, नाड़ी शोधन और भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास कराया। उन्होंने कहा कि प्राणायाम न केवल हमारी श्वसन प्रणाली को सशक्त करता है, बल्कि यह चारों स्तर शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आत्मिक पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

भाषा विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय वेबिनार: योग वैश्विक संवाद की भाषा

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में योग संस्कृति, चेतना और संवाद की वैश्विक भाषा विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। यह आयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना और शारीरिक शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में सम्पन्न हुआ। वेबिनार का उद्घाटन कुलपति प्रो. अजय तनेजा ने करते हुए कहा कि योग मौन, चेतना और शांति की भाषा बोलता है। यह एक ऐसा माध्यम है जो विज्ञान और अध्यात्म, स्वास्थ्य और सामंजस्य को जोड़ता है। मुख्य अतिथि डॉ. मंजू सिंह ने युवाओं के बीच योग की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि योग युवाओं को मानसिक स्पष्टता, आत्मिक ऊर्जा और सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता है। एनएसएस स्वयंसेवक इसे जन-जन तक पहुँचा सकते हैं। वियतनाम से जुड़े डॉ. शिवम मिश्रा ने अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में योग के महत्व पर प्रकाश डाला।

डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय: दिव्यांगजनों के लिए योग

डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में दिव्यांगजनों के सशक्तीकरण और समावेश के लिए योग विषय पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार आयोजित हुआ। उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय सिंह द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि योग शरीर और मन की एकता का प्रतीक है। ध्यान और प्राणायाम विकार और अहंकार से मुक्ति का मार्ग है। हमें योग को जीवन का अंग बनाना चाहिए। मुख्य अतिथि डॉ. एचआर नागेन्द्र (विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरु) ने कहा कि योग न केवल स्वास्थ्य का विज्ञान है, बल्कि वैश्विक शांति और आतंकवाद के उन्मूलन का माध्यम भी है। यह संपूर्ण जीवन दर्शन है।

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