लखनऊ: कॉल सेंटर खोलकर बेरोजगारों को नौकरी दिलाने के नाम पर ठगने वाला गिरोह पकड़ा गया, करोड़ों रुपये ठग चुके दो चचेरे भाई
बिहार से ठगी का जाल लाकर लखनऊ में बिछाया, एयरलाइंस समेत नामचीन मल्टीनेशनल कंपनियों में जॉब दिलाने के बहाने फंसाते थे शिकार
लखनऊ, अमृत विचार : नौकरी की तलाश में भटकते बेरोजगार, ठगों का सबसे आसान निशाना बन रहे हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तो ठगी के कॉल सेंटर खुल गए, जहां से जॉब की तलाश में फिरते युवाओं को ठगा जाने लगा। लखनऊ दक्षिणी जोन पुलिस ने ऐसे ही कॉल सेंटर गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो साइबर ठगी का गोरखधंधा चला रहे थे। बंथरा और सरोजनीनगर से नौ आरोपी पकड़े हैं। इसमें पांच महिलाएं और चार पुरुष शामिल हैं। नटवरलालों का ये नेटवर्क दो चचेरे भाईयों ने खड़ा किया था। एक पकड़ा गया, जबकि दूसरा मसूरी भाग गया।
डीसीपी दक्षिणी निपुण अग्रवाल के मुताबिक सरोजनीनगर पुलिस ने सर्विलांस की मदद से दारोगा खेड़ा निवासी कुलदीप, प्रियंका, शालू और आंचल शर्मा को गिरफ्तार किया। वहीं, बंथरा पुलिस ने बिहार के वैशाली के रहने वाले संतोष कुमार, रायबरेली के सरैनी निवासी अजय प्रताप सिंह, बंथरा निवासी अमित सिंह, सरोजनीनगर निवासी ब्रशाली और आरती सिंह को पकड़ा है। डीसीपी दक्षिणी ने कहा कि ये गिरोह पिछले दो वर्षों से संचालित हो रहा था। इसके निशाने पर बेरोजगार युवक-युवतियां थे। उन्हें जॉब का झांसा देकर फर्जी नियुक्ति पत्र तैयार करता और इस तरह ठगी का धंधा चल रहा था। पुलिस टीम अन्य आरोपियों की तलाश में लगी हैं।

एयरलाइंस में नौकरी का ख्वाब
एसीपी कृष्णानगर विकास पांडेय के मुताबिक पूछताछ में आरोपियों ने कुबूल किया कि उनके गिरोह ने एयर इंडिया, विस्तारा एयरलाइन्स, टाटा मोटर्स और टीसीएस में नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगारों से ठगी की है। आरोपियों के पास से जाली नियुक्ति पत्र भी बरामद हुए हैं। जांच में बताया कि कोई पीड़ित अगर ज्यादा पूछताछ करता है तो उसका नंबर तत्काल ब्लॉक कर दिया जाता, ताकि कोई पकड़ा न जाए।
बिहार से यूपी लाए ठगी का जाल
डीसीपी दक्षिणी निपुण अग्रवाल के मुताबिक, बेरोजगारों के साथ ऑनलाइन ठगी करने वाले दो चचेरे भाई हैं। दोनों, बिहार के वैशाली स्थित सहदई सरायधनेश के रहने वाले हैं। संतोष कुमार सिंह के रूप में एक सरगना पकड़ा गया है। उसका चचेरा भाई संदीप सिंह फरार है। उसे पकड़ने के लिए टीमें दबिश दे रही हैं। पुलिस ने दोनों कॉल सेंटरों से 18 मोबाइल, 6 लैपटॉप, एक कार और अन्य सामान बरामद किया है।
वेतन के अलावा मिलता था कमीशन
एसीपी कृष्णानगर विकास पांडेय ने बताया कि पकड़े गए कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें 8 हजार रुपये महीने की पगार पर रखा गया था। उन्होंने बताया कि बेरोजागरों की आइडी बनाने, दस्तावेज सत्यापन, पुलिस सत्यापन समेत अन्य प्रक्रिया के नाम पर 30 से 35 हजार रुपये की वसूली की जाती थी। इसी आधार पर उन्हें 8 से 10 प्रतिशत तक का कमीशन मिलता था। अगर आइडी बनाने के बाद कोई काम नहीं होता तो कमशीन नहीं मिलता था।
https://twitter.com/DCP_South/status/1934945338886132010
पूर्व महिला के इनपुट पर मारा छापा
इंस्पेक्टर बंथरा राणा राजेश सिंह और सरोजनीनगर राजदेव राम प्रजापति के मुताबिक कुछ नंबरों से साइबर ठगी की शिकायत मिली थी। उसी में एक पूर्व महिला कर्मचारी का नंबर मिला। उसको ट्रेस किया गया, तो उसने कॉल सेंटर के बारे में जानकारी दी। तब जाकर पुलिस ने अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी की। पता चला कि बंथरा में घर और सरोजनीनगर में दुकान में कॉल सेंटर चल रहे हैं।
